
श्रीनगर के ईदगाह में नहीं होगी नमाज
जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. दरक्षां अंद्राबी ने घोषणा की है कि निर्माण कार्य के चलते इस साल श्रीनगर के ऐतिहासिक ईदगाह में ईद की नमाज नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हजरतबल दरगाह और जम्मू-कश्मीर के अन्य दरगाहों, मस्जिदों में सामूहिक नमाज के लिए व्यवस्था की गई है। महाराष्ट्र और बंगाल में ईद पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने मुस्लिमों से अनुरोध किया है कि ईदगाह के इमाम और मस्जिद के इमाम से अपील है कि ईद की नमाज का खुसूसियत के साथ एहतमाम करें। मौलाना ने हदीस का हवाला देते हुए कहा कि पैगंबर इस्लाम ने फरमाया कि अच्छा मुसलमान वह है, जिसके हाथ पैर जुबान से किसी को तकलीफ ना पहुंचे, इसलिए सड़कों पर नमाज ना पढ़ी जाए।
ईद की नमाज का महत्व
जानकारों की मानें तो रमजान महीने के दौरान बंदा अल्लाह पाक के बेहद करीब रहता है। इस दौरान बंदे की तक़रीब अल्लाह से होती है। अल्लाह के करीब रहने और उनकी रहमत पाने के लिए रमजान के दौरान पांचों वक्त की नमाज अदा की जाती है। वहीं, ईद के मौके पर नमाज अदा कर खुदा से इबादत की जाती है। ऐसा करने से बंदे को खुदा का शबाब मिलता है। ईद के मौके पर नमाज अदा करने के बाद इमाम लोगों को उपदेश देते हैं। इस समय इमाम लोगों को रोजे रखने के फायदे और रमजान महीने का धार्मिक महत्व बताते हैं। लोग एक दूसरे के गले लगते हैं। इस समय लोग एक दूसरे को ईद की बधाइयां देते हैं। फिर एक दूसरे के घर पर जाते हैं। सभी लोग मिलकर पूरी-पकवान, सेवई और विभिन्न प्रकार के लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं।


































