कोरबा। एसईसीएल के कुसमुंडा, गेवरा, दीपका, कोरबा क्षेत्र के प्रभावित गांव के भू विस्थापितों ने छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण,खमहरिया की जमीन किसानो को वापस करने,आउट सोर्सिंग कार्यों में प्रभावित भू विस्थापितों को रोजगार प्रदान करने,नए पुराने नाम पर मुआवजा कटौती बंद करने,विस्थापित सभी परिवार को बसावट देने एवं बसावट गांव में मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने की मांग को लेकर 22 अप्रैल को कोल इंडिया के मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा और गेवरा खदान बंद हड़ताल करने की घोषणा की है।
किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव ने कहा की सभी भू विस्थापित किसानों जिनकी जमीन एसईसीएल ने अधिग्रहण किया है उन सभी खाते पर भू विस्थापितों को स्थाई रोजगार एसईसीएल को देना होगा। विकास परियोजना के नाम पर गरीबों को सपने दिखा कर करोड़ों लोगों को विस्थापित किया गया है अपने पुनर्वास और रोजगार के लिये भू विस्थापित परिवार आज भी भटक रहे हैं।विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दीये गए विस्थापित परिवारों की जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है। कोरबा जिले की विकास की जो नींव रखी गई है उसमें प्रभावित परिवारों की अनदेखी की गई है। लगातार संघर्ष के बाद खानापूर्ति के नाम पर कुछ लोगों को रोजगार और बसावट दिया गया
प्रबंधन का दावा- उत्पादन रहेगा जारी
दूसरी और साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड कुसमुंडा प्रबंधन की ओर से दावा किया गया है कि मेगा प्रोजेक्ट में पहले की तरह कोयला उत्पादन से लेकर ओवर वर्णन और डिस्पैच जैसी गतिविधियां बेहतर तरीके से चलती रहेगी। कथित बंद के ऐलान को लेकर हमारी अपनी स्ट्रेटजी है और हम इस फेलियर करने के लिए प्रयासरत है। प्रबंधन की प्रतिबद्धता अपने नियमित कार्यों और अन्य सरोकारों को लेकर है और इसके लिए लगातार संपादन किया जा रहा है। अनावश्यक प्रदर्शन से संबंधित चुनौतियां से निपटने की हमारी तैयारी है। हम पहले भी इस तरह के प्रदर्शन देख चुके हैं।