कोरबा। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद से ही यह मांग तेज हुई है कि प्रदेश के लिए सबसे ज्यादा बिजली का उत्पादन कोरबा करता है और सबसे अधिक समस्याएं इसी इलाके में लोगों के सामने है। इसलिए कोरबा क्षेत्र को उसका अधिकार दिलाने के लिए पावर कंपनी का मुख्यालय कोरबा में स्थापित करते हुए यहां के लोगों को बिजली के टैरिफ के मामले में छूट दी जानी चाहिए। यह सब तो 25 वर्षों में पूरा हो नहीं पाया लेकिन हैरानी की बात है कि पावर सिटी में ही गर्मी के मौसम में बिजली कटौती ने अप्रैल के महीने में रिकॉर्ड पार कर दिया। कॉलोनी से लेकर स्लम इलाकों में बिजली कटौती के कारण इस मौसम में काफी समस्याएं पेश आई।
गर्मी शुरू होने के साथ बिजली खपत में रिकार्ड बढ़ोतरी हुई है। गर्मी से बचने के लिए कूलर, एसी और पंखे की रफ्तार बढ़ी है और इसके साथ ही बिजली की खपत में इजाफा हुआ है। इसका असर आपूर्ति पर देखा जा रहा है। अप्रैल के महीने में छत्तीसगढ़ बिजली वितरण कंपनी की आउटेज रिपोर्ट से चौकाने वाला खुसाला हुआ है। आउटेज रिपोर्ट से पता चला है कि कोरबा शहरी क्षेत्र में अप्रैल के पहली तारीख से लेकर 26 अप्रैल तक अलग-अलग क्षेत्रों में 68 बार बिजली बंद हुई है। गर्मी बढऩे से ट्रांसफार्मर में तकनीकी गड़बड़ी आई और आपूर्ति प्रभावित हुई। शहर में ऐसा कोई वार्ड नहीं है, जहां गर्मी में नियमित रुप से बिजली की आपूर्ति हुई है। शहर के पॉश कॉलोनियां हो या स्लम बस्तियां। हर क्षेत्रों में बिजली कटी है। इससे लोगों को परेशान होना पड़ा है। बिजली वितरण कंपनी भी आपूर्ति बनाए रखने की कोशिश कर रही है। लेकिन बढ़ती खपत ने कंपनी की परेशानी बढ़ा दी है। कोरबा के साथ-साथ प्रदेश की स्थिति भी ठीक नहीं है। गर्मी के इस सीजन में बिजली की खपत प्रदेश में पीक आवर में सात हजार मेगावाट के पार पहुंच गई है। इसे बनाए रखने के लिए प्रदेश सरकार को 14.50 रुपए प्रति यूनिट के दर से बिजली खरीदनी पड़ रही है।