नईदिल्ली, ३१ मई।
गत वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मार्च) में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनते-बनते रहा गया। भारत का यह सपना चालू वित्त वर्ष 2025-26 में ही पूरा हो पाएगा। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी.अनंत नागेश्वरन ने भी अपनी प्रेस वार्ता में कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान लगाया है।गत वित्त वर्ष की समाप्ति पर देश की अर्थव्यवस्था आकार चालू मूल्य पर 330.68 लाख करोड़ का रहा जो डॉलर टर्म में 3.9 से थोड़ा कम होता है। चौथी सबसे बड़ी जापान की अर्थव्यवस्था का आकार चालू मूल्य पर 4.19 ट्रिलियन डॉलर का है जो 358 लाख करोड़ का होता है।गत वित्त वर्ष में चालू मूल्य पर जीडीपी विकास दर 9.8 प्रतिशत रही और चालू वित्त वर्ष में भी यह 10 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ऐसे में चालू वित्त वर्ष की समाप्ति पर जीडीपी का आकार 363 लाख करोड़ का हो जाएगा। जापान की अर्थव्यवस्था की विकास दर वर्ष 2024 में 0.1 प्रतिशत रही और चालू वर्ष में कमोबेश यही दर रहने का अनुमान है। ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था जापान को पार कर जाएगी। जारी आंकड़ों के मुताबिक गत वित्त वर्ष 2024-25 में निजी खर्च की बढ़ोतरी दर में इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2023-24 में निजी उपभोग खर्च की बढ़ोतरी दर 5.6 प्रतिशत थी जो गत वित्त वर्ष 2024-25 में 7.2 प्रतिशत रही।गत वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही जनवरी-मार्च में मैन्यूफैक्चरिंग की विकास दर 4.8 प्रतिशत रही जबकि इससे पूर्व की तीसरी तिमाही अक्टूबर-दिसंबर) में यह विकास दर 3.6 प्रतिशत तो दूसरी तिमाही में यह दर सिर्फ 2.2 प्रतिशत थी। यानी कि मैन्यूफैक्चरिंग भी अब रफ्तार पकड़ रही है। नागेश्वरन ने कहा कि वर्ष 2024 में दुनिया के लगभग सभी देशों के लिए मैन्यूफैक्चरिंग में बढ़ोतरी चुनौती रही। इस साल अप्रैल में वस्तु व सेवा दोनों ही निर्यात में क्रमश: नौ प्रतिशत व 15 प्रतिशत का इजाफा रहा। इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में निर्माण सेक्टर में 10.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही जबकि इससे पूर्व की तिमाही में यह बढ़ोतरी दर 7.9 प्रतिशत थी।हालांकि मुख्य आर्थिक सलाहकार ने यह भी कहा कि भू-राजनीति स्थिति को देखते हुए वैश्विक जोखिम कायम है और वैश्विक वित्तीय बाजार पर भी नजर रखनी होगी। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ाने का प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर आधारित है, इसलिए निजी निवेश निश्चित रूप से बढ़ेगा।