
बर्लिन, 0५ जून।
दुर्लभ धातुओं के निर्यात पर चीन द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने से कुछ यूरोपीय ऑटोमोबाइल कंपनियों को उत्पादन बंद करना पड़ा है। अप्रैल में चीन द्वारा दुर्लभ धातुओं और संबंधित मैग्नेट धातुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से दुनियाभर की ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस, सेमीकंडक्टर कंपनियों की सप्लाई चेन को बुरी तरह प्रभावित किया है। उसका यह कदम क्रिटिकल मिनरल्स पर चीन के प्रभुत्व को रेखांकित करता है और अमेरिकी राष्ट्रपित डोनाल्ड ट्रंप के साथ चल रहे ट्रेड वार में बीजिंग लाभ उठाता दिख रहा है। चीन दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत क्रिटिकल मिनिरल्स की प्रोसेसिंग करता है। यूरोपीय संघ के व्यापार आयुक्त मारोस सेफकोविक ने बुधवार को कहा कि वह और उनके चीनी समकक्ष दुर्लभ धातुओं की आपूर्ति को लेकर जल्द से जल्द अपनी स्थिति साफ करने पर सहमत हुए हैं।उन्होंने कहा, हमें अन्य देशों पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए, विशेष रूप से चीन जैसे देशों पर, जिन पर हम 100 फीसदी से अधिक निर्भर हैं। इससे पहले बुधवार को मर्सिडीज बेंज के उत्पादन प्रमुख जोर्ज बर्जर ने कहा कि वह अन्य कंपनियों के साथ क्रिटिकल मिनरल्स का बफर बनाने के बारे में बात कर रहे हैं। मर्सिडीज वर्तमान में कमी से प्रभावित नहीं है। बीएमडब्ल्यू ने कहा कि उसके आपूर्तिकर्ता नेटवर्क का एक हिस्सा दुर्लभ धातुओं की कमी से प्रभावित था, लेकिन उसके अपने संयंत्र सामान्य तौर पर चल रहे हैं।
यूरोप के ऑटो आपूर्तिकर्ता संघ सीएलईपीए ने कहा कि दुर्लभ धातुओं की आपूर्ति खत्म होने के बाद उत्पादन बंद कर दिया गया है। जर्मनी के इलेक्ट्रिकल और डिजिटल उद्योग संघ जेडवीईआइ के सीईओ वोल्फगैंग वेबर ने एक ईमेल बयान में कहा कि कुछ कंपनियों के पास केवल कुछ सप्ताह या कुछ महीने लायक ही आपूर्ति बची है।एयरबैग और सीटबेल्ट बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी स्वीडिश कंपनी ऑटोलिव ने कहा कि उसके संचालन पर कोई असर नहीं पड़ा है, लेकिन सीईओ मिकेल ब्रैट ने कहा कि उन्होंने स्थिति को संभालने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया है।