मॉस्को। अंतरिक्ष में एक ऐसा प्लेटफार्म बनाया जाएगा जिस पर ड्रोन तैनात किए जाएंगे। इस प्लेटफार्म के रखखाव की जिम्मेदारी रोबोट संभालेंगे। यह बात अभी भले ही आपको किसी साइंस फिक्शन फिल्म या कल्पना लगे लेकिन जल्द ही यह बात हकीकत में बदलने वाली है। रूस ने स्वचालित अंतरिक्षयान या ड्रोन को आर्बिटल स्पेस स्टेशन से संचालित करने के लिए एक तकनीक का पेटेंट कराया है। सामरिक तौर पर ड्रोन की बढ़ती अहमियत के मद्देनजर रूस दुनिया का पहला ड्रोन प्लेटफार्म बनाने जा रहा है। यह प्लेटफार्म रोबोट से लैस होगा। शुरुआत में रूस के ऑर्बिटल स्टेशन (आरओएस) पर इसका परीक्षण किया जाएगा। बाद में चंद्र मिशन में भी इस तकनीक का उपयोग किया जाएगा। रूस के फस्र्ट डिप्टी प्राइम मिनिस्टर डेनिस मंटुरोव ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एक बैठक में बताया कि 2030 तक रूस को अपने खुद के अंतरिक्ष स्टेशन के लिए मॉड्यूल-दर-माड्यूल योजनाबद्ध बदलाव करना सुनिश्चित करना होगा। आरओएस दुनिया का पहला ड्रोन प्लेटफार्म बनेगा। यह बैठक पुतिन ने राष्ट्रीय परियोजनाओं का जायजा लेने के लिए बुलाई थी।रूस इस समय अपना ऑर्बिटल स्टेशन बनाने जा रहा है। इसे 2027 से 2033 के बीच कक्षा में तैनात करने की योजना है। आरओएस का पहला चरण साइंटिफिक एंड पावर माड्यूल (एसपीएम) को 2027 के अंत में लॉन्च किया जाना है।2030 तक यूनिवर्सल-नोड, गेटवे और बेस मॉड्यूल भी लांच करने की योजना है। ये सभी मिलकर अंतरिक्ष स्टेशन का आधार बनाएंगे। दूसरे चरण में 2031 से 2033 के बीच दो मॉड्यूल को डाक करके स्टेशन का विस्तार किया जाएगा।
अप्रैल 2021 में, रोस्कोस्मोस के अधिकारियों ने 2024 के बाद अंतररष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से बाहर निकलने की योजना की घोषणा की थी। 2030 तक रूस आइएएस से अलग हो सकता है।