कोरिया बैकुंठपुर। गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व को भारत का पहला ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में डेवलप करने कदम बढ़ाया गया है। टाइगर रिजर्व में पहला व इकलौता ट्रैकिंग ट्रैक बन गया है। हिमालय की पहाड़ी पर ट्रैकिंग कराने वाली नामी कंपनी इंडिया हाइक से अनुबंध होने के बाद पिछले पांच साल से अक्टूबर से जनवरी तक ट्रैकिंग टीम पहुंचती है। जिसमें 4-5 इंटरनेशनल व विदेश टै्रकर लुत्फ उठा चुके हैं। नेशनल ट्रैकिंग टीम चार दिन तक ट्रैकिंग करती है। ट्रैकिंग टीम रोजाना 10 किलोमीटर के रास्ते से सफर तय करती है। ट्रैकिंग की खास बात यह है कि कुछ ट्रैकर फैमिली लेकर पहुंचे हैं। ट्रैकिंग का मुख्य उद्देश्य है कि आजकल आईटी-बैंकिंग सहित शहरों की भागदौड़ भरी जिंदगी में नेचर, वाइल्डलाइफ व ट्राइबल लाइफ स्टाइल से रुबरु कराना है। ट्रैकर अपनी फैमिली के साथ बच्चे लेकर पहुंचतें हैं और नेचर को करीब से देख व समझते हैं। जिससे बच्चों के मन मस्तिष्क में नेचर, इंवायरमेंट, वाइल्ड लाइफ के साथ रोमांचक ट्रैकिंग और रुचि पैदा होगी। जो बड़े होकर प्रकृति को बचाने, संरक्षित करने को लेकर बेहतर काम कर पाएंगे।गुरु घासीदास तमोर पिंगला के भीतर घनघोर जंगल के बीच वर्षों पुरानी भित्तिचित्र मिले हैं। जिसको 18 प्वाइंट चिह्नित कर बुक प्रकाशन कराया है और हर जगह को पर्यटन के रूप में संवारने की तैयारी है। टाइगर रिजर्व जैव विविधता से भरपूर है और घनघोर जंगल के बीच 3-4 हजार पुराने भित्तिचित्र मिले हैं। हालांकि, घने जंगल और रास्ता नहीं होने के कारण भित्तिचित्र स्थल पर पहुंच पाना नामुमकिन है। भित्तिचित्र के 18 प्वाइंट चिह्नित कर फोटोग्राफी कराई है। साथ ही बुक प्रकाशन में हर जानकारी देने की कोशिश की गई है। घनघोर जंगल के बीच बड$गांवखुर्द गांव बसा हुआ है। गांव के आसपास 3-4 किलोमीटर की परिधि में पहाड़ों पर बड़ी संख्या में भित्तिचित्र मिले हैं। ग्रामीण भित्तिचित्र वाले स्थल को लिखामाड़ा के नाम से जानते हैं। घनघोर जंगल के बीच बसे ग्रामीण कई पीढ़ी से निवासरत हैं। लेकिन भित्तिचित्र कितने साल पहले बने थे, इसकी बुजुर्गों को कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, कुछ बुजुर्ग भित्तिचित्र को आदिम काल के बने होने की बात कहते हैं। पुरातत्व एक्सपर्ट के अनुसार भित्तिचित्र 3-4 हजार साल पुराने हैं। घनघोर जंगल के बीच पहाड़ी चट्टानों पर सदियों पहले भित्तिचित्र बनाए गए हैं। जंगल में चूने का काफी भण्डार है। ऐसा अनुमान है कि चूने और जंगली जानवरों के खून को मिलाकर भित्तिचित्र बनाए गए हैं। जो पुरातत्व की जांच में चित्रकारी की स्थिति स्पष्ट होगी।
टाइगर रिजर्व में आने वाले समय में कई बदलाव होंगे और सुविधाएं भी बढ़ेगी। हाल ही में बाघ के दो शावकों के जन्म की जानकारी मिली है। जिससे जगह-जगह ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं। मैदानी अमला लगातार निगरानी में तैनात है। क्योंकि शावकों की संख्या बढ़ भी सकती है। वर्तमान में बालमगढ़ी पहाड़ पर बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।