
नईदिल्ली, १४ जुलाई ।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर के दौरे से ठीक पहले नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने रविवार को कहा कि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के उत्तराधिकार का मुद्दा चीन-भारत संबंधों में एक कांटा है। उसने इस मुद्दे को आंतरिक मामला बताते हुए कहा कि तिब्बत मुद्दे के कारण ही द्विपक्षीय संबंधों में तनाव है।हालांकि, धर्म और आस्था से जुड़े मामलों में तटस्थ रहने का भारत का रुख पहले से ही स्पष्ट है। जयशंकर 15 जुलाई को उत्तरी चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन के अंतर्गत एक क्षेत्रीय सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेंगे और इस दौरान वह द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे।वर्ष 2020 में सीमा पर हुए सैन्य संघर्ष के बाद उनकी यह पहली चीन यात्रा है। इस संघर्ष में कम से कम 20 भारतीय और चार चीनी सैनिक मारे गए थे। इसके बाद द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट आई थी। बहरहाल, पिछले महीने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी शंघाई सहयोग संगठन की रक्षा मंत्रियों की बैठक से इतर अपने चीनी समकक्ष के साथ बातचीत की थी। चीनी दूतावास के प्रवक्ता यू जिंग ने एक्स पोस्ट में किसी का नाम लिए बगैर कहा, भारत में रणनीतिक और शैक्षणिक समुदायों के कुछ लोगों ने दलाई लामा के पुनर्जन्म पर अनुचित टिप्पणी की है। विदेशी मामलों के पेशेवरों के रूप में उन्हें शिजांग से जुड़े मुद्दों की संवेदनशीलता के बारे में पूरी तरह से अवगत होना चाहिए। यू ने तिब्बत के लिए चीनी नाम शिजांग का इस्तेमाल करते हुए कहा, दलाई लामा का पुनर्जन्म और उत्तराधिकार स्वाभाविक रूप से चीन का आंतरिक मामला है। शिजांग से जुड़ा मुद्दा चीन-भारत संबंधों में एक कांटा बन गया है और भारत के लिए बोझ बन गया है।
शिजांग कार्ड खेलना निश्चित रूप से अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा। गौरतलब है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू ने दलाई लामा के 90वें जन्मदिन समारोह के दौरान कहा था कि एक बौद्ध अनुयायी होने के नाते उनका मानना है कि केवल आध्यात्मिक गुरु और उनके कार्यालय को ही उनके पुनर्जन्म पर निर्णय लेने का अधिकार है। भारत के विदेश मंत्रालय ने दलाई लामा के जन्मदिन से दो दिन पहले चार जुलाई को कहा था कि नई दिल्ली आस्था और धर्म की मान्यताओं और प्रथाओं से संबंधित मामलों पर कोई रुख नहीं अपनाता और न ही कोई टिप्पणी करता है।अपने जन्मदिन के समारोह से पहले दलाई लामा ने यह कहकर चीन को फिर से नाराज कर दिया कि उनके उत्तराधिकार के चयन में उसकी कोई भूमिका नहीं है। लेकिन, चीन का कहना है कि दलाई लामा के उत्तराधिकार को उसकी मंजूरी लेनी होगी।