
वाशिंगटन। जून में अमेरिका ने ईरान के जिन तीन परमाणु संयंत्रों पर हमला किया था उनमें से केवल फोर्डो परमाणु संयंत्र ही बर्बाद हुआ। अमेरिकी विमानों ने उस पर बंकर बस्टर बम गिराए थे। इसके अतिरिक्त नातांज और इस्फहान के परमाणु संयंत्रों पर भी अमेरिका ने हमला किया था लेकिन उन्हें ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। ईरान चाहेगा तो वहां पर कुछ महीने बाद यूरेनियम शोधन की प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी। यह जानकारी अमेरिकी न्यूज चैनल एनबीसी ने कुछ वर्तमान और पूर्व अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कही है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने भी अपनी गोपनीय रिपोर्ट में ऐसी ही बात कही थी जिसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खारिज कर दिया था। इजरायल ने 13 जून को जिस तरह से ईरान पर लक्षित हमला किया और ईरान के भीतर से ही ड्रोन हमले कर ईरानी एयर डिफेंस सिस्टम को नुकसान पहुंचाया, उससे माना गया कि ईरान के भीतर से ही इजरायली खुफिया संगठन मोसाद को सूचना दी गई और मदद की गई। बाद में मोसाद ने भी कहा कि उसके ईरान में मौजूद एजेंटों ने इजरायली सेना के हवाई हमलों को सफल बनाने में बहुत मदद की।फोर्डो एक संयत्र है, जहां परमाणु ईंधन को शुद्ध किया जा सकता है। फोर्डो जमीन के नीचे काफी गहराई में स्थित है और नातांज की तुलना में वहां पहुंचना कहीं ज्यादा कठिन है। फोर्डो को मूल रूप से इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के लिए एक सैन्य सुविधा के रूप में बनाया गया था ।
यह उत्तर-पश्चिमी ईरान के कोम शहर से 30 किमी (18.5 मील) उत्तर-पूर्व में स्थित है, और कथित तौर पर एक पहाड़ के सैकड़ों मीटर अंदर स्थित है। ईरान ने 21 सितम्बर 2009 को वैश्विक परमाणु निगरानी संस्था, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) को एक पत्र लिखकर अपने परमाणु स्थल में परिवर्तन का खुलासा किया, क्योंकि उसे पता चला था कि पश्चिमी खुफिया एजेंसियों को इसके बारे में पहले से ही पता था। कुछ दिनों बाद, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस ने सार्वजनिक रूप से पुष्टि की कि उन्हें फोर्डो में एक गुप्त ईंधन संवर्धन संयंत्र के बारे में पता था।
फोर्डो एकमात्र ईरानी सुविधा है जहाँ अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी निरीक्षकों को हथियार-स्तर की शुद्धता के लगभग शुद्ध किए गए यूरेनियम के कण मिले हैं। यह 2023 में एक अघोषित निरीक्षण के दौरान हुआ था।