
नईदिल्ली, 2२ जुलाई।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कल शाम अचानक पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भेजे गए पत्र में धनखड़ ने तत्काल प्रभाव से दिए इस्तीफे के लिए खराब स्वास्थ्य को कारण बताया है। बहरहाल राजनीतिक गलियारे में कयासों का बाजार गर्म हो गया है।संसद के मानसून सत्र के पहले दिन की कार्यवाही का सफलतापूर्वक संचालन के बाद अचानक उनके इस्तीफे की घोषणा ने सबको चौंका दिया है। धनखड़ 2022 में उपराष्ट्रपति के पद के लिए निर्वाचित हुए थे और उनका कार्यकाल अगस्त, 2027 तक था। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने पद पर रहते हुए कई चर्चित बयान दिए। इन बयानों के बाद सियासी हलचल होती रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल मार्च में विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए समय सीमा तय करने को कहा था। इसपर धनखड़ ने कहा था कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं। उप राष्ट्रपति ने इसकी ओर इशारा करते हुए कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 142 एक ऐसा परमाणु मिसाइल बन गया है जो लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ न्यायपालिका के पास चौबीसों घंटे मौजूद रहता है। उन्होंने कहा था कि देश में ऐसी स्थिति नहीं हो सकती कि आप राष्ट्रपति को निर्देश दें। सुप्रीम कोर्ट को ये अधिकार किसने दिया है और वो किस आधार पर ऐसा कर सकता है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते हुए जगदीप धनखड़ से एक बार कहा था कि ममता सरकार एक खास वर्ग को सहूलियत देती है। उन्होंने कहा था कि एक विशेष वर्ग को ही आर्थिक सहायता दी जा रही है जिसकी इजाजत संविधान नहीं देता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सिर्फ एक वर्ग के लोगों के आंसू पोछे जाते हैं। उन्हें लाखो रुपये मुआवजा दिया जाता है और दूसरे वर्ग के आंसू नहीं पोछे जाते। जनवरी 2022 में बंगाल को लोकतंत्र का गैस चैंबर बताया था।
जगदीप धनखड़ ने कई बार कहा है कि संविधान की प्रस्तावना में बदलाव नहीं होना चाहिए। ये संविधान की मूल आत्मा है इसलिए इसमें बदलाव नहीं होने चाहिए। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि किसी भी संविधान की प्रस्तावना उसकी आत्मा होती है। जगदीप धनखड़ ने हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला 2024 के उद्घाटन भाषण में कहा था कि ‘शुगर कोटेड फिलॉसफी बेची जा रही है और समाज के कमजोर वर्गों को निशाना बनाया जा रहा है। धनखड़ ने कहा था, सनातन कभी विष नहीं फैलाता, सनातन स्व शक्तियों का संचार करता है। एक और संकेत दिया गया है जो बहुत खतरनाक है और देश की राजनीति को भी बदलने वाला है। यह नीतिगत तरीके से हो रहा है, संस्थागत तरीके से हो रहा है, सुनियोजित षड्यंत्र के तरीके से हो रहा है और वह है धर्म परिवर्तन।