जयपुर, २६ जुलाई।
राजस्थान में प्रशासन की निष्क्रियता ने सात नौनिहालों की जान ले ली। स्कूल जाकर पढ़-लिखकर जीवन में कुछ करने का उनका सपना झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव स्थित सरकारी स्कूल की छत के मलबे के नीचे हमेशा के लिए दफन हो गया। शुक्रवार सुबह बारिश के दौरान स्कूल भवन के एक कमरे की छत गिरने से पांच बच्चों की मौके पर मौत हो गई, जबकि दो ने अस्पताल में दम तोड़ दिया।इनकी उम्र सात से 13 वर्ष के बीच है। नौ बच्चों की हालत गंभीर है। 12 बच्चे दूसरे अस्पताल में भर्ती हैं। छह बच्चों को देर शाम अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हादसे की जांच के निर्देश दिए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी को पद से हटाने के साथ ही प्रधानाध्यापिका सहित पांच शिक्षकों को निलंबित किया गया था। देर रात शिक्षा विभाग के पांच कर्मचारी निलंबित कर दिए गए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हादसे पर दुख जताया है। आठवीं तक के स्कूल में सात कमरे हैं, जिनमें चार कमरों में ही कक्षाएं संचालित होती हैं। स्कूल में कुल 73 विद्यार्थी हैं, जिनमें शुक्रवार को 71 आए थे। कई दिनों से हो रही बारिश शुक्रवार को भी जारी रही। इस कारण सातवीं कक्षा में 35 और दूसरी कक्षा में 36 विद्यार्थी बैठाए गए थे। उसी कमरे की छत गिरी, जिनमें 35 विद्यार्थी थे। दोनों कमरों की छत टपकती थी और बारिश का पानी रिसता था।आठवीं की छात्रा टीना ने बताया कि सुबह 7.40 पर बारिश के दौरान कमरे में छत से कंकर और बजरी के साथ पानी गिरने लगा तो उसने बाहर खड़े शिक्षक जावेद को बताया लेकिन उन्होंने डांट कर चुप करा दिया। कुछ ही देर में छत गिर गई और 35 बच्चे दब गए। दूसरे कमरे का कुछ हिस्सा भी गिर गया। बताया जा रहा कि स्कूल में मौजूद दोनों शिक्षक बाहर बात कर रहे थे। तीन शिक्षक हादसे के कुछ देर बाद पहुंचे।ग्रामीणों ने मलबा हटाकर बच्चों को बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया गया। हादसे में मारे गए बच्चों में दो भाई-बहन भी हैं। छोटू लाल का सात साल का बेटा कान्हा और 13 वर्षीय बेटी मीना की मौत हो गई।इस मामले में हर स्तर पर लापरवाही बरती गई। स्कूल की इमारत की हालत खस्ता होने के बावजूद इसे जर्जर सूची में शामिल नहीं किया गया। अब हादसे की जांच से पहले प्रशासन ने स्कूल के बचे हुए हिस्से को भी गिरा दिया। बताया जा रहा है कि शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल ने 14 जुलाई को पत्र लिखकर जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा था कि जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत हो, जर्जर भवनों में पढ़ाई नहीं होनी चाहिए।
जिला कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ ने कहा कि जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए गए थे कि जो भवन जर्जर हों, वहां बारिश के समय छुट्टी कर दी जाए लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। एक महीने पहले सभी जर्जर भवनों की मरम्मत के लिए विभागीय स्तर पर कार्रवाई के लिए कहा था, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने कभी भवन जर्जर होने की सूचना नहीं दी।शिक्षा विभाग के निदेशक सीताराम जाट ने जिला कलेक्टर को कटघरे में खड़ा किया। कहा कि उन्हें इस बारे में पहले ही कार्रवाई करनी चाहिए थी। भवन की मरम्मत कराते या दूसरे भवन में कक्षा लगवाने की व्यवस्था करते। प्रधानाध्यापक को भी सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए था।हादसे के बाद ग्रामीणों ने झालावाड़-मनोहरथाना मार्ग पर टायर जलाकर जाम लगा दिया। धरने पर बैठे ग्रामीणों ने मृतकों के स्वजन को एक करोड़ की मदद और सरकारी नौकरी की मांग की है। छात्र नेता नरेश मीणा ने मौके पर पहुंचकर हंगामा करने का प्रयास किया तो पुलिस ने उन्हे हिरासत में ले लिया।