
नई दिल्ली। हैदराबाद में ‘अवैध’ सरोगेसी (किराये का कोख) का भंडाफोड़ हुआ है। दरअसल, एक दंपति ने डीएनए परीक्षण कराया तो पता चला कि सरोगेसी के माध्यम से पैदा हुआ बच्चा उनका नहीं है। दंपती ने इस मामले की जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने डॉक्टर सहित दस लोगों को गिरफ्तार किया है। डॉ. नम्रता रेजिमेंटल बाजार स्थित यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर की मैनेजर हैं। सेंटर पर पुलिस ने छापा भी मारा है।
दंपती ने क्या बताया?
सिकंदराबाद में रहने वाले राजस्थान के दंपती ने बताया कि उन्होंने पिछले साल सरोगेसी प्रक्रिया के लिए क्लिनिक को 35 लाख रुपये का भुगतान किया था। इस साल बच्चे के जन्म के बाद, डॉ. नम्रता ने सरोगेट मां के डीएनए सत्यापन के उनके अनुरोध को बार-बार टाला।
इसके बाद दंपत्ति ने दिल्ली में स्वतंत्र डीएनए परीक्षण करवाया। सच्चाई सामने आई कि बच्चे का उनसे कोई जैविक संबंध नहीं था। यानी दंपती का बच्चा जैविक संतान नहीं था।
दंपती के नमूने को विशाखापत्तनम भेजा गया था
पुलिस ने जानकारी दी कि दंपति को नमूने लेने के लिए विशाखापत्तनम स्थित क्लिनिक की एक अन्य शाखा में भेजा गया और बताया गया कि ‘सरोगेट (किराये का कोख देने वाली महिला)’ का प्रबंध क्लिनिक द्वारा किया जाएगा और भ्रूण को ‘सरोगेट’ में प्रतिरोपित किया जाएगा। नौ महीनों के दौरान, दंपति ने क्लिनिक को कई भुगतान किए। इस साल जून में शिकायतकर्ता को बताया गया कि सरोगेट महिला ने विशाखापत्तनम में ऑपरेशन के ज़रिए एक लड़के को जन्म दिया है। क्लिनिक ने प्रक्रियाओं के नाम पर परामर्श शुल्क के रूप में दंपति से 35 लाख रुपये से अधिक की राशि ली।
गर्भपात करने आई महिलाओं को लालच देती थी डॉक्टर
इस घटना पर हैदराबाद नॉर्थ जोन की डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस,’श्रीमती रश्मि पेरुमल ने बताया कि डॉ नम्रता और उनके सहयोगी ऐसी महिलाओं को निशाना बनाते थे जो गर्भपात कराने आई होती थीं।
उन्हें पैसे या अन्य लालच देकर गर्भ बनाए रखने को कहा जाता था और बाद में उनके बच्चों को सरोगेसी के नाम पर दूसरों को बेचा जाता था। पुलिस ने बताया कि बच्चे के जैविक माता असम से ताल्लुक रखते हैं, जो फिलहाल हैदराबाद में रह रहे हैँ