
नई दिल्ली। यमन में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय निमिषा प्रिया के मामले में केरल के एक मौलवी द्वारा किए जा रहे दावे गलत हैं। सरकारी सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।साथ ही कहा कि इस संवेदनशील मामले पर किसी भी तरह की अटकलबाजी से बचना चाहिए। सदर मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार ने सोमवार को दावा किया था कि प्रिया की मौत की सजा को पलट दिया गया है। सूत्रों ने कहा कि उन्होंने प्रिया के मामले से जुड़ी कुछ रिपो?र्ट्स देखी हैं और ये दावे गलत हैं। सूत्र ने कहा, हम लोगों से इस संवेदनशील मामले पर गलत सूचना और अटकलों से बचने का आग्रह करते हैं। यह स्पष्टीकरण तब आया जब सदर मुफ्ती ने कथित तौर पर कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय प्रिया मामले में उनके प्रयासों से अवगत हैं। 38 वर्षीय भारतीय नागरिक की फांसी 16 जुलाई को होनी थी, लेकिन भारतीय अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद इसे टाल दिया गया। वह वर्तमान में यमन की राजधानी सना की एक जेल में बंद है।इस कहानी की शुरुआत होती है साल 2008 से, जब निमिषा 18 साल की थी। निमिषा की मां दूसरे के घरों में काम करती थी। मां-बेटी का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। किसी तरह निमिषा ने नर्सिंग का कोर्स किया था। हालांकि, केरल में उसे नर्सिंग की नौकरी नहीं मिली।इसके बाद निमिषा को पता चला कि यमन में नर्सिंग के अच्छे अवसर हैं। 19 वर्ष की निमिषा अच्छे भविष्य के लिए यमन जाने के लिए तैयार हो गई। उस समय यमन में शांति थी। यमन में निमिषा को सरकारी अस्पताल में नौकरी भी मिल गई।