
इंदौर। मालेगांव बम धमाकों के आरोपितों के बरी होने के बाद तत्कालीन जांच अधिकारियों की पोल खुल गई है। जांच में शामिल अधिकारी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ इंदौर में फर्जी गवाह तैयार कर रहे थे। उन्होंने गवाहों को न सिर्फ धमकाया बल्कि लालच भी दिया था।
प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ चाहते थे गवाही
महाराष्ट्र एटीएस ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को गुजरात से हिरासत में लेने के बाद दावा किया था कि जिस बाइक में बम लगाया गया वो उनके नाम से रजिस्टर्ड थी। इस बाइक की रिपेयरिंग इंदौर के पलासिया में हुई थी। एटीएस की टीम वहां पहुंची और मैकेनिक जितेंद्र शर्मा पर धमाकों में सहयोग करने का आरोप लगाया।
एटीएस वाले पूछताछ के लिए लगातार बुलाते थे
जितेंद्र बताते हैं कि एटीएस वाले पूछताछ के लिए लगातार बुलाते थे। एटीएस अधिकारियों ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा का भी नाम लो। इसके लिए अधिकारियों ने उनको सरकारी गवाह बनाया और लालच भी दिया।
डाकिया व सब्जी वाला बनकर संदीप का पता पूछते थे अधिकारी
मालेगांव बम धमाके में साध्वी प्रज्ञा सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी, श्याम साहू, शिव, धर्मेंद्र की गिरफ्तारी हुई थी, पर संदीप डांगे और रामजी कलसांगरा को फरार दर्शा दिया गया।
रामजी के घर पर भी 50 बार तलाशी ली गई
संदीप एसजीएसआइटीएस से इंजीनियरिंग कर चुका था। संदीप और रामजी पर बम बनाने का आरोप लगाया गया। संदीप के पिता विश्वास पूछताछ और बयानों से परेशान हो गए थे। एटीएस वाले कभी डाकिया तो कभी सब्जी वाले बनकर घर आ जाते थे। रामजी के घर पर भी 50 बार तलाशी ली गई।