
नईदिल्ली, 0२ अगस्त ।
मालेगांव ब्लास्ट मामले में गुरुवार को मुंबई की एक विशेष अदालत ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट के इस फैसले पर विपक्ष के कई नेताओं ने आपत्ति जताई है। इस बीच एक ऐसा खुलासा हुआ है, जो सभी को हैरान कर रहा है। दरअसल, इस मामले में कुल 39 गवाहों में से एक गवाह ने ऐसा खुलासा किया है, जो हैरान करने वाला है। इन गवाहों में से एक गवाह ने कहा ने बताया कि उसपर योगी आदित्यनाथ और आरएसएस तथा दक्षिणपंथी संगठनों के अन्य कई लोगों को फंसाने का भी दबाव डाला गया था। जानकारी दें कि मालेगांव ब्लास्ट केस में सरकारी गवाह रहे मिलिंद जोशी ने कोर्ट में बताया कि उनपर योगी आदित्यनाथ और क्रस्स् का नाम लेने का दबाव बनाया गया था। इसके लिए उनको कई दिनों तक हिरासत में रखा गया था। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ उस समय भी हिदुत्व का फायरब्रांड चेहरा थे। गवाह के मुताबिक मालेगांव ब्लास्ट केस में योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत को फंसाने की कोशिश की जा रही थी। वहीं, इस मामले की जांच अधिकारी रहे महबूब मुजावर ने कहा कि केस को इस तरीके से प्रस्तुत किया गया, जिससे भगवा आतंकवाद का नैरेटिव स्थापित किया जा सके। रिपोर्ट्स के अनुसार, महबूब मुजावर ने कहा कि तत्कालीन सरकार का उद्देश्य हिंदुत्व की राजनीति को खत्म करना चाहती थी। इस मामले में सरकारी गवाह मिलिंद जोशी पर दबाव था कि वह असीमानंद और योगी आदित्यनाथ का नाम इस मामले में लें। इसके लिए जांच अधिकारियों ने उन्हें प्रताडि़त भी किया था। मालेगांव ब्लास्ट मामले में मुंबई की एक विशेष अदालत ने अपना फैसला दिया। कोर्ट ने इस मामले में सभी सात आरोपियों बरी कर दिया। मालेगांव ब्लास्ट मामले में बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहगिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी आरोपी थे।
सभी को कोर्ट ने बरी कर दिया।