भागलपुर , 0४ अगस्त ।
लगातार हो रही वर्षा के कारण गंगा और उसकी सहायक नदियां उफान पर हैं, जिससे पानी खेतों और रिहायसी इलाकों में फैल रहा है। गंगा का जलस्तर बूढ़ानाथ मंदिर तक पहुंच गया है, जबकि मशानी काली मंदिर परिसर जलमग्न हो गया है। निचले इलाकों में भी पानी भरने लगा है। चांदन नदी का बांध टूटने से गोराडीह के कई गांवों में जलभराव हो गया है। कतरिया नदी के उफान से सबौर- जमसी मार्ग बंद हो गया है। भि_ी और सरधो गांव के आसपास पानी चारों ओर फैल गया है। खेतों के साथ-साथ अब घरों में भी पानी प्रवेश कर रहा है। ममलखा और चांचचक में कटावरोधी काम में लगे बोरे खिसक रहे हैं, जिससे कटाव और बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। पशुओं की स्थिति भी गंभीर है, चारे की कमी और रहने की समस्या बढ़ रही है।नवगछिया के इस्माईलपुर-बिंद टोली में रविवार की संध्या छह बजे गंगा नदी का जलस्तर लाल निशान से 57 सेंटीमीटर ऊपर, अर्थात 32.17 मीटर पर बह रहा था। वहीं, मदरौनी में कोसी नदी का जलस्तर 30.40 मीटर पर, चेतावनी स्तर से आठ सेंटीमीटर नीचे दर्ज किया गया। गंगा नदी के जलस्तर में भारी वृद्धि और मूसलाधार वर्षा के कारण विभिन्न स्परों और तटबंधों पर पानी का दबाव बढ़ गया है। हाल ही में स्पर संख्या नौ के पचास-छह मीटर ध्वस्त होने के बाद, स्पर संख्या आठ पर पानी का दबाव काफी बढ़ गया है।इस स्थिति को देखते हुए, स्पर संख्या आठ पर निगरानी बढ़ा दी गई है और सुरक्षा के लिए एतियातन पेड़ आदि लगाए गए हैं। मुख्य अभियंता ई. अनवर जमील ने स्पर संख्या आठ का जायजा लिया और अभियंताओं को आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि बढ़ते जलस्तर को देखते हुए स्पर संख्या नौ पर बीस हाथी पांव और स्पर संख्या आठ पर दस हाथी पांव के साथ चार-पांच गुलर के पेड़ लगाने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा, फ्लड फाइटिंग के लिए ठेकेदार को 24 घंटे तैयार रहने की हिदायत दी गई है। कार्यपालक अभियंता गौतम कुमार ने बताया कि ब्रह्मोत्तर बांध की मरम्मत कर दी गई है।कहलगांव में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और यह खतरे के निशान से 39 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच चुका है। हाल में जलस्तर 31 मीटर 40 सेंटीमीटर तक स्थिर था, लेकिन अब यह पिछले स्तर से आठ सेंटीमीटर अधिक हो गया है। बाढ़ का पानी चारों ओर फैलने लगा है, जिससे सहायक नदियां कुआ, घोघा, गेरूआ और भयाना भी उफान पर हैं। त्रिमोहन में उत्क्रमित उच्च विद्यालय एवं मध्य विद्यालय परिसर में बाढ़ का पानी फिर से भर गया है, हालांकि कक्षाओं में पानी नहीं घुसा है और पठन-पाठन प्रभावित नहीं हुआ है।पकड़तल्ला, आमापुर छोटी, मार्कण्डेय टोला, पक्कीसराय, पन्नुचक, कुशहा, साधुपुर, तोफिल अनठावन जैसे दर्जनों गांव बाढ़ से घिर चुके हैं। सैकड़ों घर चारों ओर से जलमग्न हो गए हैं। बहियार में लगी धान, मक्का, मिर्ची, अरहर जैसी फसलें डूब गई हैं। ग्रामीणों में बाढ़ का भय बढ़ता जा रहा है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, शाम छह बजे तक गंगा का जलस्तर 31 मीटर 48 सेंटीमीटर था, जिसमें दो घंटे में एक सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है।अजगैवीनाथ धाम में गंगा के जलस्तर में निरंतर वृद्धि होने के कारण प्रखंड की कई पंचायतों में बाढ़ का पानी फैल गया है।
निचले गांवों में बाढ़ का पानी घुसने से लोग अपने घर छोडक़र सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं। विशेष रूप से कल्याणपुर मोतीचक और पुरानी मोतीचक के निचले हिस्सों में गंगा का पानी तेजी से फैल रहा है। कल्याणपुर मोतीचक जाने वाली एकमात्र कच्ची सडक़ पूरी तरह जलमग्न हो चुकी है। ग्रामीण आवश्यक कार्यों के लिए टीन से बनी नाव का सहारा लेकर जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं। ग्रामीण अश्विनी कुमार मंडल ने बताया कि बरसात के दिनों में गंगा नदी उफान पर होती है, जिसका प्रभाव हर वर्ष गांव में देखा जाता है। जलस्तर बढऩे से हम परिवार सहित सुरक्षित स्थानों पर चले जाते हैं। प्रशासन द्वारा राहत सामग्री मिल जाती है, लेकिन यह केवल सरकार की जिम्मेदारियों का निर्वहन है। यह हमारे लिए हर साल का रूटीन बन गया है। बाढ़ के कारण मकान जर्जर होते जा रहे हैं और हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं है। राशन और सब्जियों की कमी के कारण भी समस्याएं बढ़ रही हैं। बच्चों को जान जोखिम में डालकर स्कूल जाना पड़ रहा है, और खेतों में पानी भरा होने से पशुओं का चारा लाने में भी कठिनाई हो रही है। गंगा के जलस्तर में वृद्धि से मिरहट्टी, पैन, महेशी, तिलकपुर आदि पंचायतों में भी बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है।