सुरक्षा उपायों पर फोकस
कोरबा। सरना सिंकू, चंद्रशेखर राठिया, राजू कंवर और दशरथ सिदार। ये चार नाम ऐसे हैं जिन्होंने जेल प्रबंधन के साथ-साथ स्थानीय पुलिस अधिकारियों का टेंशन बुरी तरह से बढ़ाकर रख दिया है। शनिवार की शाम बिजली गुल होने के दौरान ये चारों जेल से भाग गए थे। तब से लेकर अब तक इनकी खोज में पुलिस के अधिकारियों और कर्मियों को पसीना बहाना पड़ रहा है।
आरोपियों की खोजबीन करने के लिए पुलिस ही नहीं बल्कि साइबर सेल के अतिरिक्त गुप्तचरों को भी जिम्मेदारी दी गई है जो मेन्यूली और टेक्निकली कामकाज में जुटे हुए हैं। जिला जेल से फरार हुए इन चार आरोपियों में एक चंद्रप्रकाश राठिया रायगढ़ जिले के घरघोड़ा कमतरा का रहने वाला है जबकि तीन कोरबा जिले के हैं। दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट में ये नामजद होने के बाद जेल दाखिल किए गए हैं। जेल विभाग द्वारा संचालित गौशाला में कामकाज देखने के दौरान इन्हें जेल से भागने की प्लानिंग की और इसे परवान चढ़ा दिया। घटना दिवस को कुछ देर के बाद ही इसकी जानकारी हुई जिससे कर्मचारी से लेकर अधिकारी सख्ते में आ गए। सिविल लाइन पुलिस को इसकी जानकारी देने के बाद बहुत जल्द उच्चाधिकारियों तक बात पहुंची। आनन-फानन में खोजबीन के लिए रणनीति तैयार की गई। तब से लगातार इस तरफ काम चल रहा है। राजपत्रित अधिकारियों सहित निरीक्षक और अन्य कर्मियों को इन तीनों में शामिल किया गया है जो यहां-वहां आरोपियों की तलाश में जुटे हैं। बताया गया है अब तक कोई खास इनपुट नहीं आ सके हैं लेकिन कोशिश जारी है। पुलिस अधिकारियों ने खोजबीन के क्रम में आरोपियों के निवास स्थान के अलावा रिश्तेदारों, मितानों और उनके बेहद करीबी लोगों को टारगेट में लिया है। अन्य श्रोतों से भी पता किया जा रहा है कि वे कहां पर शरण ले सकते हैं।
स्लम इलाकों के अतिरिक्त सार्वजनिक स्थानों पर भी टोह लेने की कोशिश की जा रही है। बताया गया कि जिस अंदाज में आरोपियों ने दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था उससे पता चलता है कि उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि कैसी हो सकती है और कैसे-कैसे आपराधिक तत्वों से उनकी नजदीकी होगी। पुलिस ने कहा कि एक चुनौती के रूप में इस मामले को लिया गया है और इसी के आधार पर सर्च ऑपरेशन प्रारंभ किया गया है। घटना के दूसरे दिन इस केस में पुरस्कार की घोषणा भी पुलिस की ओर से कर दी गई है।