नईदिल्ली, 0५ अगस्त ।
25 फीसदी टैरिफ और रूस से तेल आयात करने के मुद्दे पर भारत सरकार ने अमेरिका को करारा जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से रूस से तेल आयात करने के कारण भारत, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के निशाने पर है। दरअसल, भारत ने रूस से आयात इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी। उस समय, अमेरिका ने ग्लोबल एनर्जी मार्केट की स्थिरता को मज़बूत करने के लिए भारत द्वारा इस तरह के आयात को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया था।विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत द्वारा रूस से तेल आयात करने का उद्देश्य भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अनुमानित और किफायती ऊर्जा लागत सुनिश्चित करना है। भारत सरकार ने यह भी कहा कि रूस से तेल आयात करने पर भारत की आलोचना करने वाले देश स्वयं रूस के साथ व्यापार में शामिल हैं। 2024 में यूरोपीय संघ का रूस के साथ वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 67.5 अरब यूरो था। इसके अलावा, 2023 में सेवाओं का व्यापार 17.2 अरब यूरो होने का अनुमान है। यह उस वर्ष या उसके बाद रूस के साथ भारत के कुल व्यापार से काफ़ी ज़्यादा है। 2024 में यूरोपीय एलएनजी का आयात रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन तक पहुँच गया, जो 2022 के 15.21 मिलियन टन के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया। यूरोप-रूस व्यापार में न केवल ऊर्जा, बल्कि उर्वरक, खनन उत्पाद, रसायन, लोहा और इस्पात तथा मशीनरी और परिवहन उपकरण भी शामिल हैं। भारत सरकार ने कहा जहां तक अमेरिका का सवाल है, वह अपनी न्यूक्लियर इंडस्ट्री के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, अपने इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल इंडस्टी के लिए पैलेडियम, उर्वरकों के साथ-साथ रसायनों का आयात जारी रखे हुए है।
रूस के साथ द्विपक्षीय व्यापार की इस पृष्ठभूमि में, भारत को निशाना बनाना अनुचित और अविवेकपूर्ण है। किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था की तरह, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा।