नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पारिवारिक पेंशन सहित सामाजिक कल्याण योजनाओं के तहत लाभ प्रदान करने में सौतेली माताओं को भी शामिल करने के लिए ”मां” शब्द की उदार व्याख्या की वकालत की।जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने केंद्र और भारतीय वायुसेना से कहा कि नियमों में मां की परिभाषा को उदार बनाने की आवश्यकता है ताकि सौतेली माताओं को भी इसमें शामिल किया जा सके।

पीठ ने कहा, ”हमें ‘मां’ शब्द को उदार बनाने की जरूरत है। इसमें सौतेली मां शब्द भी शामिल होना चाहिए, खासकर जब पारिवारिक पेंशन सहित सामाजिक कल्याण योजनाओं के तहत लाभ देने की बात हो। सौतेली मां वास्तव में मां ही होती है।” सुप्रीम कोर्ट एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। उस महिला ने अपने सौतेले बेटे की जैविक मां की मृत्यु के बाद उसका पालन-पोषण किया। महिला पारिवारिक पेंशन की मांग कर रही थी। जस्टिस सूर्यकांत ने केंद्र के वकील से पूछा कि अगर एक महीने के बच्चे की मां का निधन हो जाए और पिता दूसरी शादी कर ले, तो क्या सौतेली मां को असली मां नहीं माना जाएगा। जस्टिस कांत ने कहा, ”कानून में आप उसे सौतेली मां कह सकते हैं, लेकिन वह वास्तव में वास्तविक मां ही है क्योंकि उसने पहले दिन से ही अपना जीवन बच्चे के लिए समर्पित कर दिया था।” हालांकि, वकील ने भारतीय वायुसेना के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि मां की परिभाषा में सौतेली मां शामिल नहीं है।