कोरबा। अगर आप अपने स्वास्थ्य को लेकर बहुत ज्यादा गंभीर है तो आपको भाद्रपद महीने में खानपान और जीवन शैली को लेकर सतर्कता दिखाने की जरूरत है । 10 अगस्त से प्रारंभ हुआ भादो का महीना 07 सितंबर तक रहेगा। इस अवधि में दही, गुड़ का सेवन लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है। कई और चीजों से उन्हें बचाने की जरूरत है।
आयुष विशेषज्ञ डॉ नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया कि आयुर्वेदानुसार भाद्रपद (भादो) मास में नमी होने के कारण वात दोष प्रकुपित होता है। और इस समय जठराग्नि भी मंद हो जाती है जिससे पाचन शक्ति भी कमजोर हो जाती है। इन सबके कारण भूख कम लगना, अरूचि, बुखार, मलेरिया, टाइफाइड, जोड़ों के दर्द, गठिया, सूजन, खुजली, फोड़े-फुंसी, दाद, पेट में कीड़े, नेत्राभिष्यन्द (आंख आना), दस्त और अन्य रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है। साथ ही इस माह में ब्लड प्रेशर के बढऩे की भी संभावना अत्यधिक होती है। अत: ब्लड प्रेशर के रोगियों को इस माह में अपना विशेष ध्यान रखना चाहिये। डॉ शर्मा ने बताया कि इन सबसे बचाव हेतु स्नेहयुक्त भोजन, माखन, घी, पुराने अनाज जौ, गेंहू, राई, खिचड़ी, मूंग, लौकी परवल, लौकी, तरोई, अदरक, जीरा, मैथी, सरसों की कच्ची घानी का तेल आदि सुपाच्य ताजे एवं गर्म खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिये। साथ ही इस मास में तुलसी दल का सेवन अवश्य करना चाहिये। जो संक्रामक रोगों से हमारी रक्षा करने मे विशेष लाभकारी होता है। भादो मास में बारिश की वजह से बीमारी फैलाने वाले कीटाणु बहुत अधिक पनपते है, इसलिए कच्चे खाद्य पदार्थों , दही का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिये। इससे पाचन एवं आंतों से संबंधित तकलीफ होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। भाद्रपद (भादो) मास में गुड़, नारियल तेल, मछली, मांस, मदिरा , छाछ पत्तेदार सब्जी एवं बासी भोजन से परहेज करें। सामान्य शीतल जल से दोनों समय स्नान करना बेहतर होगा। उन्होंने सलाह दी है कि तुलसी दल एवं अदरक को पानी मे उबालकर गुनगुना कर पीना आपके स्वास्थ्य को बेहतर रखेगा। स्कंद पुराण के अनुसार भाद्रपद मास में दिन में एक ही समय भोजन करने और इसके लाभ की चर्चा की गई है। स्वच्छ और साफ कपड़े का उपयोग करने के साथ बिना नवमी वाले स्थान पर शयन करने का भी विधान है। भाद्रपद मास में दिन में सोना, खुले में सोना, रात्रि जागरण, अत्यधिक व्यायाम को भी वर्जित माना गया है।