नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर बस शुरुआत है। हम गति और परिवर्तन के युग में जी रहे हैं। यह बदलाव का युग है। और अगर ऐसा है, तो शांति बनाए रखने के लिए साथ मिलकर आगे बढऩा आज की जरूरत है। चाहे इसे शक्ति, तालमेल और संप्रभुता के जरिये ही क्यों न लागू किया जाए। उन्होंने विस्तार से बताए बिना कहा कि अगला युद्ध जल्द हो सकता है। हमें उसके अनुसार तैयारी करनी होगी। हमें यह लड़ाई मिलकर लडऩी होगी। अकेले सेना इसे नहीं लड़ेगी। अगर मैं अपने नजरिये से इसे देखूं, तो भारत ढाई मोर्चों का सामना कर रहा है। अगर देश की जमीनी सीमाओं की बात करें तो जनता की मानसिकता के मद्देनजर जीत का मतलब जमीनी बना रहेगा।सेना प्रमुख ने चार अगस्त को आईआईटी-मद्रास में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। उनके संबोधन का वीडियो सेना ने रविवार को साझा किया।सेना प्रमुख ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर एक संपूर्ण राष्ट्र का दृष्टिकोण था। सेना को यह तय करने की खुली छूट दी गई थी कि क्या करना है। इस तरह का आत्मविश्वास, राजनीतिक स्पष्टता, राजनीतिक दिशा हमने पहली बार देखी। प्रतिबंधों की कोई शर्त न होने से सेना का मनोबल बढ़ता है। इस तरह इसने जमीनी स्तर पर सेना के कमांडरों को अपनी समझ के अनुसार कार्य करने में मदद की। ऑपरेशन के बारे में और जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल को हमने उत्तरी कमान का दौरा किया, जहां हमने सोचा, योजना बनाई, उसकी संकल्पना की और नौ में से सात ठिकानों पर अपनी योजना को अंजाम दिया। इन ठिकानों को नष्ट कर दिया गया और कई आतंकवादी मारे गए। आतंकी शिविरों पर सटीक हमलों के बारे में उन्होंने कहा कि हमने जहां हमला किया, वह व्यापक और गहरा था। पहली बार हमने आतंकवादियों के वास्तविक ठिकानों पर हमला किया। निश्चित रूप से हमारे निशाने पर आतंकी और उनके सरगना थे। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। पाकिस्तान को भी उम्मीद नहीं थी कि इस तरह का हमला होगा। यही बात उनके लिए हैरान करने वाली थी। लेकिन, क्या हम इसके लिए तैयार थे। हां, हम इसके लिए तैयार थे। जो भी झटका आता, उसे झेलने के लिए हम तैयार थे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किस तरह से नैरेटिव गढऩे की लड़ाई लड़ी गई, इस पर उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान की रणनीति का अपने तरीके से मुकाबला किया। जनता तक संदेश पहुंचाने के लिए इंटरनेट मीडिया और अन्य माध्यमों का इस्तेमाल किया।
इस तरह आप जनता को प्रभावित कर सकते हैं। यह स्वदेशी जनता, विरोधी देश की जनता और तटस्थ जनता..सभी पर प्रभाव डालती है। इसका रणनीतिक संदेश बहुत महत्वपूर्ण था।
उन्होंने नैरेटिव मैनेजमेंट (विमर्श गढऩे) के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि असली जीत दिमाग में होती है। अगर आप किसी पाकिस्तानी से पूछें कि आप हारे या जीते, तो वह कहेगा कि हमारे सेना प्रमुख फील्ड मार्शल बन गए हैं। हम जरूर जीते होंगे। इसीलिए वह फील्ड मार्शल बने हैं।सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर शतरंज की बाजी जैसा था, क्योंकि हमें नहीं पता था कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी और हम क्या करने वाले हैं। इसे हम ग्रे जोन कहते हैं।ग्रे जोन का मतलब है कि हम पारंपरिक अभियान नहीं चला रहे, लेकिन हम कुछ ऐसा कर रहे हैं जो पारंपरिक अभियान से थोड़ा हटकर हो। कहीं हम दुश्मन को शह और मात दे रहे थे, तो कहीं हम अपनी जान गंवाने के जोखिम पर भी उसे मात देने की कोशिश कर रहे थे।लेकिन, जिंदगी का यही मतलब है। अगर कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, तो हो सकता है कि दूसरे देश दुश्मन की मदद कर रहे हों। हालांकि, ”टेस्ट मैच” चौथे दिन ही रुक गया, अन्यथा यह एक लंबा संघर्ष हो सकता था।