नईदिल्ली, ११ अगस्त ।
भारत सरकार की नजर सेमीकॉन इंडिया फ्यूचर स्किल्स टैलेंट कमेटी की उस रिपोर्ट है, जिसमें कहा गया है कि 2032 तक वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन (वीएलएसआई) चिप डिजाइन क्षेत्र में अनुमानित 2,75,000 अतिरिक्त कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। यही नहीं, अगले दस वर्षों में फैब (फैब्रिकेशन प्रोसेस) और एटीएमपी (असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग एंड पैकेजिंग) सुविधाओं के लिए भी क्रमश: 25,000 और 29,000 कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। इस आवश्यकता की तुलना में वर्तमान में देश में स्किल्ड वर्कफोर्स की उपलब्धता और तैयार करने की गति काफी कम है। इसे देखते हुए ही कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने इंडिया सेमीकंडक्टर ईकोसिस्टम वर्कफोर्स डेवलपमेंट स्ट्रेटजी रिपोर्ट-2025 तैयार की है। इसमें तमाम संस्तुतियों के साथ रोडमैप सुझाया गया है, जिस पर अमल करने के लिए सरकार तैयार है। भारतीय सेमीकंडक्टर उद्योग की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं को लेकर यह रिपोर्ट पिछले दिनों कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयन्त चौधरी ने लांच की। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में सालाना 15 लाख से अधिक इंजीनियर तैयार होते हैं, जिनमें से मात्र तीन प्रतिशत से भी कम को सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए कुशल माना जाता है।हालांकि भारत ने चिप डिजाइन में बीते कुछ वर्षों में काफी प्रगति की है, जिसके परिणास्वरूप 1,25,000 से ज्यादा इंजीनियर डिजाइन सेवाओं में लगे हुए हैँ। फिर भी फैब ऑपरेटरों, प्रोसेस टेक्नीशियन और एटीएमपी इंजीनियरों की भारी कमी है। यह स्किल समूची सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन के लिए आवश्यक है। दरअसल, विशेषज्ञों ने माना है कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और सेमीकंडक्टर उद्योग की इसमें भूमिका बहुत बड़ी हो सकती है। इलेक्ट्रॉनिक्स और इमर्जिंग टेक्नोलॉजी की बढ़ती मांग के साथ भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2021 में 2700 करोड़ डॉलर से बढक़र 2026 तक 6400 करोड़ डॉलर होने की उम्मीद है।इसके मद्देनजर ही सरकार ने सेमीकंडक्टर डिजाइन, निर्माण और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 76,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ सेमीकान इंडिया कार्यक्रम शुरू किया है। सरकार की इस रिपोर्ट में मैकेन्जी की रिपोर्ट द सेमीकंडक्टर डिकेड ए ट्रिलियन-डालर इंडस्ट्री का भी उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार सेमीकंडक्टर उद्योग में यह उछाल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), रोबोटिक्स और 5जी जैसी उन्नत तकनीकों के व्यापक रूप से अपनाए जाने और बढ़ी हुई डाटा प्रोसेसिंग, स्टोरेज और ट्रांसमिशन क्षमता की मांग के कारण है। भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार 2020 में 15 बिलियन डॉलर था और इसके 2025 तक 64 बिलियन डालर और 2030 तक 110 बिलियन डॉलर तक बढऩे की उम्मीद है, जो वैश्विक मांग का लगभग 10 प्रतिशत है।
कौशल विकास से जुड़े विशेषज्ञों ने रिपोर्ट में कहा है कि सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए किसी को भी तैयार करने के लिए विभिन्न विषयों में एक मजबूत आधार की आवश्यकता होती है। फिजिक्स, कैमिकल साइंस, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कम्प्यूटर साइंस के मूल सिद्धांतों को समझकर एक शिक्षार्थी सेमीकंडक्टर उपकरणों, निर्माण प्रक्रियाओं, डिजाइन तकनीकों की खोज के लिए तैयार हो सकता है।धीरे-धीरे नैनो टेक्नोलॉजी, मैटेरियल साइंस और सर्किट डिजाइन जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में भी आगे बढ़ सकता है। इस स्ट्रेटजी रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने स्कूल स्तर से ही कुछ तकनीकी पाठ्यक्रम शुरू करने का सुझाव दिया है। चूंकि, इसका संबंधी विभिन्न मंत्रालयों से है, इसलिए कौशल विकास मंत्रालय इन सभी मंत्रालयों के साथ मिलकर इस रणनीति और रोडमैप पर आगे बढऩे की पहल कर रहा है।