
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक महिला आरक्षक ने डिप्टी कलेक्टर दिलीप उइके पर दुष्कर्म, गर्भपात और आर्थिक शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं। इस मामले में कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिससे अब आरोपी डिप्टी कलेक्टर की गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है।
*आरोपों की गंभीरता*
पीड़िता की शिकायत के मुताबिक, वर्ष 2017 में आईटीआई की पढ़ाई के दौरान दिलीप उइके से उसकी मुलाकात हुई और दोनों के बीच संबंध बने। शादी का झांसा देकर आरोपी ने कई बार शारीरिक संबंध बनाए और गर्भवती होने पर जबरन गर्भपात कराया। आरोप है कि आरोपी ने पढ़ाई के नाम पर महिला से पैसे भी लिए और फिर से संबंध बनाए।
*कानूनी कार्रवाई*
पीड़िता ने आखिरकार डौंडी थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने मामले में अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरोपी पक्ष के वकील ने दलील दी कि महिला आरक्षक ने ब्लैकमेलिंग कर झूठा केस दर्ज कराया है, लेकिन पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराते हुए बैंक स्टेटमेंट सहित कई सबूत भी पेश किए।
*कोर्ट का फैसला*
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका को नामंजूर कर दिया। अब आरोपी डिप्टी कलेक्टर की गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है। यह मामला दिखाता है कि कैसे एक महिला ने अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और न्यायालय से न्याय की गुहार लगाई।