
कोरिया बैकुण्ठपुर। शहर के मध्य स्थित सांस्कृतिक भवन के ठीक बगल में सडक़ किनारे लगे लिप्टिस के पेड़ों की अवैध कटाई ने समूचे क्षेत्र में आक्रोश का माहौल पैदा कर दिया है। स्थानीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुछ व्यापारी खुलेआम इन पेड़ों को काटकर बड़ी मात्रा में लकड़ी की बिक्री कर रहे हैं। शहर के बीचों-बीच इस तरह की गतिविधि लगातार जारी रहने के बावजूद प्रशासन और वन विभाग की खामोशी पर सवाल उठने लगे हैं।
बताया जाता है कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह पेड़ों की कटाई की गई हो। इससे पहले भी विश्राम भवन तथा जल संसाधन विभाग के कैंपस के भीतर अवैध तरीके से पेड़ काटने की घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, उन घटनाओं में भी यही व्यक्ति संलिप्त थे। उस समय वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो आरोपी अपना सामान, औजार और अधकटे पेड़ों को वहीं छोडक़र भाग खड़े हुए थे। बावजूद इसके, उन पर किसी तरह की कड़ी कार्रवाई न होने के कारण उनकी हिम्मत और अधिक बढ़ गई है, जिसके चलते अब वे पुन: सार्वजनिक क्षेत्र में वृक्षों का विनाश कर रहे हैं। शहर में हरियाली घटने से न केवल पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ता है, बल्कि प्रदूषण का स्तर भी गंभीर होता जा रहा है। लिप्टिस के पेड़ शहर के सौन्दर्य, छाया और वायु शुद्धिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके लगातार कटने से नागरिकों को भविष्य में कई प्रकार की पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि शहरी क्षेत्र में हर पेड़ की अपनी एक अहम भूमिका होती है और ऐसे में उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है। जनता का आरोप है कि शहर में अवैध पेड़ कटाई का व्यापार बड़े पैमाने पर फल-फूल रहा है और संबंधित अधिकारियों की चुप्पी इस गतिविधि को बढ़ावा दे रही है। नागरिकों ने यह भी कहा है कि जब प्रशासन या वन विभाग इस तरह की खुली लापरवाही बरतते हैं, तो अपराधियों का मनोबल और बढ़ जाता है, जिसके परिणामस्वरूप शहर की प्राकृतिक संपदा लगातार नष्ट होती जा रही है। स्थानीय लोगों एवं सामाजिक संगठनों ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए इस प्रकरण पर शीघ्र संज्ञान लेने की मांग की है। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई तथा भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सख्त निगरानी व्यवस्था लागू करने की आवश्यकता जताई है। साथ ही, पेड़ों की सुरक्षा के लिए नागरिकों ने स्वयं आगे आने तथा प्रशासन को सहयोग करने की अपील भी की है। बैकुण्ठपुर के नागरिकों का स्पष्ट कहना है कि अगर इस तरह हरियाली उजड़ती रही तो आने वाले समय में शहर की पहचान और पर्यावरण दोनों संकट में पड़ जाएंगे। इसलिए अवैध वृक्ष कटाई के खिलाफ तत्काल कठोर कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है। फिलहाल, शहरवासियों की नजरें प्रशासन की ओर टिकी हैं कि कब इस पर्यावरणीय अपराध को रोकने के लिए निर्णायक कार्रवाई की जाएगी।
























