जांजगीर चांपा। ब्लॉक मुख्यालय बम्हनीडीह में कृषि विभाग की लापरवाही और अधिकारियों की निष्क्रियता किसानों की मेहनत पर पानी फेर रही है। कृषि विभाग के एसडीओ परमेश्वर बनर्जी की ढिलाई से कृषि दवाई केंद्रों में बिना अनुमति, बिना डिग्री और बिना लाइसेंस के कीटनाशक दवाओं की बिक्री धड़ल्ले से चल रही है। इन दुकानों पर खुलेआम डीएपी, यूरिया, गंधक, बायोफार्टिलाइजर, बायो पोटास की नकली दवाइयां बेची जा रही है, जिनसे न केवल किसानों की फसलें बर्बाद हो रही है, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता पर भी गंभीर असर पड़ रहा हैं। ब्लॉक मुख्यालय बम्हनीडीह के गांव-गांव में अधिक मुनाफे के लिए सस्ती कंपनियों की घटिया या जहरीली दवाइयां बेची जा रही है,। यहां के दुकान संचालक खुद दुकान पर नहीं बैठते, बल्कि अशिक्षित रिश्तेदारों या मजदूरों को बिठा देते हैं, जिन्हें सिर्फ मार्जिन के हिसाब से दवाई देना आता है। कृषि विभाग द्वारा कभी भी इन कर्मचारियों की योग्यता या प्रशिक्षण की जांच नहीं की जाती। स्थानीय किसानों ने बताया कि इन दुकानों से खरीदे गए कीटनाशक छिडक़ने के बाद उनकी फसलें सूख जाती हैं या असर नहीं करतीं। कई बार दवाओं में मिलावट इतनी होती है कि फसल पर उल्टा असर पड़ जाता है। बम्हनीडीह क्षेत्र में हर साल लाखों रुपए के कीटनाशक बेची जाती है,। इसमें भी लाखों रुपए का व्यापार बिना लाइसेंस वाली दुकानों में होता है। इन नकली उत्पादों पर कोई नियंत्रण नहीं है। दुकानदार इन्हें असली दवा बताकर बेचते हैं क्योंकि इनसे मुनाफा कई गुना अधिक होता है। कृषि विभाग के एसडीओ की भूमिका इस पूरे मामले में सवालों के घेरे में है। सूत्रों का कहना है कि अधिकारी का मुख्यालय में अनुपस्थित रहना और दुकान निरीक्षण में रुचि न लेना, इस अवैध कारोबार के फैलने का बड़ा कारण है। सूत्रों की माने तो अब तक विभाग ने एक भी दुकान का विधिवत निरीक्षण नहीं किया है।
बिना अनुभव व बिना अनुमति के चल रही दुकानें
मिली जानकारी के अनुसार, बम्हनीडीह ब्लॉक में करीब 300 से अधिक कृषि कीटनाशक विक्रय केंद्र संचालित हैं, जिनमें से कई बिना लाइसेंस के ही व्यापार कर रहे हैं। इन दुकानों के संचालक न तो कृषि विषय में प्रशिक्षित हैं न ही उनके पास विभाग द्वारा जारी कोई प्रमाणपत्र है। नियम के अनुसार किसी भी दुकान को कीटनाशक बेचने के लिए कृषि से संबंधित डिग्री या विभागीय प्रशिक्षण अनिवार्य है, लेकिन यहां यह शर्त सिर्फ कागजों तक सीमित है।

RO No. 13467/7