
कोरिया बैकुंठपुर। कोरिया जिले के ग्राम टेमरी में आस्था, श्रद्धा और सादगी से परिपूर्ण लोक पर्व छठ पूजा का आयोजन हर्षोल्लास के साथ किया गया। इस अवसर पर पूरे गांव में भक्तिमय वातावरण व्याप्त रहा। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में, हाथों में सूप, फल और प्रसाद लेकर घाट की ओर रवाना हुईं। सूर्य देव को अघ्र्य अर्पित करते हुए लोगों ने सुख, समृद्धि और परिवार की मंगलकामना की। यहां लगातार 73 सालों से यह परिवार छठ पूजन कर रहा है। 1952 में टेमरी आए इनके पूर्वजों ने यहां छठ मनाने की शुरुआत की थी।
छठ पूजा हिंदू संस्कृति का ऐसा पर्व है जो अपनी सादगी और लोक परंपराओं के कारण विशेष महत्व रखता है। यह वह पर्व है जिसमें कोई पुजारी नहीं होता, कोई जाति या वर्ग का भेद नहीं होता। इस पूजा में देवता स्वयं प्रत्यक्ष माने जाते हैं और हर व्रती अपने श्रद्धा और संकल्प के बल पर इस पर्व को पूर्ण करता है। डूबते सूर्य को अघ्र्य देने की यह अनोखी परंपरा सिखाती है कि जीवन में जो डूबता है, उसका उदय भी निश्चित होता है — यही छठ महापर्व का सार है।
टेमरी गांव के घाटों पर महिलाओं और पुरुषों ने एक साथ सूर्यास्त के समय अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अघ्र्य दिया। इसके बाद सुबह उगते सूर्य को भी अघ्र्य देकर व्रत का समापन किया गया। व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला उपवास रखकर अपनी भक्ति और आत्मबल का परिचय दिया। इस दौरान गांव की गलियां लोकगीतों और छठी मईया के जयकारों से गूंज उठीं — कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय जैसे पारंपरिक गीत वातावरण में भक्ति का संचार कर रहे थे।
छठ पर्व की सबसे विशेष बात यह है कि इसमें हर वस्तु घर में ही तैयार की जाती है — चाहे वह ठेकुआ हो, फल हो या प्रसाद। गांव की महिलाएं सामूहिक रूप से प्रसाद बनाती हैं और उसे पूरे समुदाय में बांटती हैं। इस पर्व में अमीर-गरीब, उच्च-निम्न का कोई भेद नहीं होता। घाट पर हर व्यक्ति एक समान होता है। श्रद्धा ही इस पूजा की असली शक्ति है।
टेमरी ग्राम के युवाओं और ग्रामीणों ने मिलकर घाट की साफ-सफाई और सजावट की व्यवस्था की थी। पूरे क्षेत्र में आकर्षक सजावट की गई, दीपों से घाटों को सजाया गया। शाम के अघ्र्य के समय सूर्य की लालिमा और दीपों की लौ ने ऐसा दृश्य प्रस्तुत किया मानो स्वर्ग धरती पर उतर आया हो।
छठ महापर्व केवल पूजा नहीं, बल्कि यह जीवन का दर्शन है — यह हमें बताता है कि सादगी में ही भक्ति है, और भक्ति में ही परम आनंद। इसी भावना के साथ ग्राम टेमरी के लोगों ने सूर्य देव और छठी मईया के प्रति अपनी अटूट आस्था व्यक्त की।





























