पावन स्थली में शैक्षणिक भ्रमण से बहुत कुछ सीखा छात्रों ने
कोरबा। शिक्षा नीति में बदलाव के अंतर्गत स्कूलों में पाठ्यक्रम की पढ़ाई के साथ-साथ प्रोजेक्ट वर्क पर भी काम हो रहा है। रानी लक्ष्मी बाई हायर सेकेंडरी स्कूल ढेलवाड़ीह के विद्यार्थियों ने शैक्षणिक भ्रमण के अंतर्गत अमरकंटक में जैव विविधता के साथ धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर का अवलोकन किया।
संस्थान ने कक्षा नवमी से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए प्रोजेक्ट वर्क की तैयारी के सिलसिले में उन्हें अमरकंटक ले जाने की व्यवस्था की। छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती मध्य प्रदेश के इस स्थान की महत्ता अलग-अलग कारणों से है। मध्य भारत की जीवन रेखा नर्मदा और सोन नदी नदी की उत्पत्ति यहां से होती है। इस पूरे अंचल में अधिक प्रकार की जड़ी बूटियों और वनस्पति मौजूद है जो इसे बायोडायवर्सिटी के मामले में एक नई पहचान देती है। संस्था प्रमुख अक्षय दुबे ने बताया कि अमरकंटक का धार्मिक, ऐतिहासिक और विरासत की दृष्टिकोण से भी खास महत्व है। विद्यार्थियों को अमरकंटक में वन संपदा के अलावा प्रकृति की विरासत और मानवीय सभ्यता के विकास क्रम में यहां की बदलती तस्वीर का भ्रमण कराया गया। यहां के शिल्प और निर्माण के साथ-साथ क्षेत्र की जीवन शैली के बारे में भी विद्यार्थियों ने गहराई से जानकारी ली। विद्यालय के शिक्षकों देवी इस दौरान विद्यार्थियों का बेहतर मार्गदर्शन किया। उन्हें बताया गया कि किसी भी क्षेत्र को समाज जीवन, पर्यावरण, लोकाचार और परस्पर तालमेल के मामले में जो चीज अच्छी बनती है उसमें लोगों की भूमिका बहुत ज्यादा मायने रखती है। विद्यार्थियों ने कहा की इस प्रकार के कार्यक्रम हमारी दृष्टि को एक नविता देते हैं और समझ विकसित करते हैं । जीवन के आगे की यात्रा में यह शैक्षिक घमंड उनके लिए काफी उपयोगी साबित होगा।

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