कोरबा। जिला पंचायत कोरबा में सदस्यों और जिला सीईओ के बीच खींचतान उभर कर सामने आई है। गुरुवार को सामान्य सभा की बैठक के बाद कलेक्टर के पास पहुंचकर अध्यक्ष सहित सदस्यों ने शिकायत की। हालांकि, अध्यक्ष इससे इनकार कर रहे हैं लेकिन जिला पंचायत सदस्यों ने इस बात की पुष्टि की है।

जिला पंचायत सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को जिला पंचायत में सामान्य सभा की बैठक आहूत की गई। इस बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष पवन सिंह सहित पदेन सचिव व जिला पंचायत सीईओ डीके नाग व विभागों के अधिकारी, जनपदों के अध्यक्ष तथा जिला पंचायत के सदस्य उपस्थित रहे। कटघोरा डीएफओ कुमार निशांत इस बैठक से नदारद रहे। विभागों की समीक्षा करने के साथ ही विषयों और मांगों पर निर्देश दिए गए। जिला शिक्षा अधिकारी टी.पी. उपाध्याय को उनके अधीनस्थ खंड शिक्षा अधिकारियों के द्वारा मनमाने तरीके से शिक्षकों का संलग्नीकरण किए जाने पर कार्रवाई के संबंध में हिदायत दी गई। यह भी पूछा गया कि जिला शिक्षा अधिकारी ऐसे अवैधानिक संलग्नीकरण से अनजान कैसे हैं? बैठक के दौरान डीएफओ कुमार निशांत की अनुपस्थिति को लेकर सदस्यों ने नाराजगी जाहिर की। सदस्यों की मानें तो कटघोरा डीएफओ उनका फोन तक नहीं उठाते। अध्यक्ष ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की और चेतावनी दी गई है कि अगली बैठक में डीएफओ अनिवार्य रूप से उपस्थित रहें अन्यथा उनके विरुद्ध मुख्यमंत्री, वन मंत्री, वन सचिव से शिकायत की जाएगी।

👉🏻 इस बैठक में नहीं आए CEO
सामान्य सभा की बैठक के बाद जिला पंचायत के सामान्य प्रशासन समिति की बैठक आहूत की गई जिसमें जिला पंचायत सीईओ उपस्थित नहीं हुए। उन्हें बैठक में आने के लिए बुलाया गया लेकिन वह आना जरूरी नहीं समझे। इसे लेकर अध्यक्ष की नाराजगी सामने आई। सूत्र बताते हैं कि जिला सीईओ के द्वारा जिला पंचायत भवन में स्थित पूर्व सभा कक्ष के दरवाजे पर ताला बंद कर दिया गया है वहीं उन कमरों में भी ताले लगवा दिए गए जहां जिला पंचायत सदस्यों के पति आकर बैठते रहे।जिला पंचायत प्रशासन का तर्क है कि अनावश्यक उनकी मौजूदगी बनी रहती है इसलिए कमरों में ताला लगवा दिया गया है। इस बात पर जिला पंचायत सदस्यों और अध्यक्ष ने भी पूर्व सभा कक्ष को ताला बंद कराए जाने पर नाराजगीं जताई। जिला सीईओ के प्रति नाराजगी और काफी समय से चली आ रही कथित खींचतान को लेकर अध्यक्ष ने सदस्यों के साथ कलेक्टर के पास पहुंचकर अपनी बात रखी। सूत्र बताते हैं कि जिला सीईओ से इस संबंध में उन्हें तलब कर चर्चा की गई और सदस्यों तथा अध्यक्ष को आश्वस्त किया गया कि सब कुछ ठीक कर लिया जाएगा। हालांकि, बाहर निकलकर मीडिया से चर्चा में अध्यक्ष इस बात को टाल गए व रुख मोड़ दिया।

👉🏻 हल्ला ब्याज की राशि का
दूसरी तरफ यह बात भी सामने लाई जा रही है/प्रचारित की जा रही है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन काल में जिस तरह से विभिन्न मदों में प्राप्त राशि के ब्याज की रकम जिला सदस्यों और अध्यक्ष को उनके क्षेत्र में कार्यों के लिए दी जाती रही है,उसे मांगा जा रहा है जबकि भाजपा सरकार ने ब्याज की राशि के खर्चे पर रोक लगा दी है। प्रचारित किया जा रहा है कि उक्त ब्याज की रकम प्राप्त करने को लेकर CEO द्वारा इंकार करने पर यह सारा कुछ घटनाक्रम उभर कर सामने आया है। वैसे बताते चलें कि न सिर्फ जिला पंचायत बल्कि जिले के सभी जनपद पंचायतों में ब्याज ही नहीं बल्कि 15 वित्त वें वित्त की राशि को भी विकास कार्यों की बजाय अनावश्यक कार्यों में खर्च किया जा रहा है। मनमाने तरीके से राशि खर्च की जा रही है और विकास कार्यों को दरकिनार कर दिया गया है। लाखों रुपए उन चीजों पर खर्च किए जा रहे हैं जिनके लिए विभागीय मद आते हैं। ऐसे में इनकी मनमानी चरम पर है जिस पर कोई लगाम नहीं कसी जा रही है।

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