छत्तीसगढ़ के 25 वर्ष: सियासत, संघर्ष और विकास की कहानी

कोरिया बैकुंठपुर। एक नवंबर 2000—भारत के मानचित्र पर एक नया राज्य उभरा, जिसने अपनी अलग पहचान और नई दिशा का आगाज़ किया। यह दिन था जब छत्तीसगढ़ ने मध्यप्रदेश से अलग होकर अपना स्वतंत्र अस्तित्व प्राप्त किया। वन, खनिज और संस्कृति से समृद्ध इस भूमि ने तब से लेकर अब तक विकास, राजनीति और जनआकांक्षाओं का एक अनोखा सफर तय किया है।
विकास की दिशा तय करना। तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने राज्य के पहले नायक के रूप में प्रशासनिक ढांचे की नींव रखी। शिक्षा, स्वास्थ्य, सडक़ और उद्योग के क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को खड़ा करने का कार्य प्रारंभ हुआ। इसके बाद राज्य की सियासत ने कई करवटें लीं। साल 2003 में सत्ता परिवर्तन के साथ छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह का दौर शुरू हुआ। उनके 15 वर्ष के कार्यकाल को विकास के युग के रूप में याद किया जाता है। गांव-गांव तक बिजली पहुंची, सडक़ें बनीं और योजनाओं के जरिए गरीबों तक सरकारी लाभ पहुंचाने की पहल हुई। जनता के बीच ‘डॉ. रमन’ एक स्थिर और सशक्त नेतृत्व के प्रतीक बने। परंतु समय के साथ विपक्ष ने भी सत्ता के खिलाफ आवाज़ बुलंद की और साल 2018 में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की। भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने नई दिशा में कदम बढ़ाया। किसानों की कर्जमाफी, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना जैसी नीतियों ने गांवों तक आर्थिक सशक्तिकरण का संदेश दिया। इस दौर में छत्तीसगढ़ ने अपने सांस्कृतिक गौरव — छत्तीसगढय़िा स्वाभिमान — को भी नयी पहचान दी। वहीं अब प्रदेश में एक बार फिर सियासी प्रतिस्पर्धा का दौर है, जहां नए नेतृत्व के उभरने की चर्चा है। 25 वर्षों की इस यात्रा में छत्तीसगढ़ ने विकास के कई पड़ाव पार किए हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और उद्योग के क्षेत्र में प्रदेश ने नई ऊंचाइयां हासिल कीं। वहीं नक्सलवाद जैसी चुनौतियों से भी प्रदेश ने डटकर मुकाबला किया। आज छत्तीसगढ़ की पहचान सिर्फ खनिज या जंगलों से नहीं, बल्कि अपने मेहनतकश लोगों और जीवंत संस्कृति से है। अब जब छत्तीसगढ़ अपने स्थापना दिवस की रजत जयंती मना रहा है, तो यह अवसर है—पिछले 25 वर्षों के सफर को देखने और आने वाले भविष्य की दिशा तय करने का। यह तो वक्त के पन्नों में दर्ज हो चुका है, लेकिन इतना तय है कि छत्तीसगढ़ की कहानी अभी अधूरी नहीं हुई है। यह यात्रा जारी है — एक समृद्ध, सशक्त और स्वाभिमानी छत्तीसगढ़ की ओर।

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