सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका में वरिष्ठता मानदंड पर फैसला रखा सुरक्षित, अब इस दिन होगी सुनवाई

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस पर निर्णय सुरक्षित रख लिया कि क्या राज्यों में न्यायाधीशों के करियर में प्रगति से जुड़ी असमानताओं को दूर करने के लिए उच्च न्यायिक सेवा (एचजेएस) कैडर में वरिष्ठता निर्धारित करने के लिए एक समान, राष्ट्रव्यापी मानदंड तैयार किए जाने चाहिए।

तीन दिनों तक चली सुनवाई के निर्णय

चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस के विनोद चंद्रन तथा जस्टिस जायमाल्या बागची की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस विषय पर तीन दिनों तक चली सुनवाई के बाद यह निर्णय लिया।

सुनवाई के दौरान, पीठ ने यह देखा कि अधिकांश राज्यों में सिविल जज (सीजे) के रूप में भर्ती होने वाले न्यायिक अधिकारी अक्सर प्रधान जिला न्यायाधीश (पीडीजे) के स्तर तक भी नहीं पहुंच पाते हैं। इस स्थिति के कारण कई प्रतिभाशाली युवा अधिवक्ता सीजे के स्तर की सेवा में शामिल होने से हतोत्साहित हो रहे हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए

पीठ ने इस मुद्दे पर विचार करते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारियों की वरिष्ठता निर्धारित करने के मानदंडों में राष्ट्रव्यापी एकरूपता आवश्यक है। कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

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