
हर खाते में रोजगार और मुआवजा को लेकर बनी है तनातनी
कोरबा। कोरबा जिले में 40 वर्ग किलोमीटर में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की कोल माइंस मौजूद हैं। जबकि उनके आसपास और भी क्षेत्र में कोयला का विशाल भंडार होने का पता चला है। इसलिए मिनरल्स एक्सप्लोरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड का सर्वेक्षण पहले ही हो चुका है। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड गेवरा क्षेत्र में अपनी कॉल माइंस का दायरा और बढ़ाने के लिए तीन गांव को कहां है कि उनके यहां ड्रोन सर्वे बहुत जल्द करेंगे। इस ऐलान के साथ इलाके मे चिंता है।
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड गेवरा क्षेत्र की खदान का विस्तार पहले भी हो चुका है और इस चक्कर में मनगांव और दूसरे क्षेत्र की जमीन अर्जित हो चुकी। इस पूरी प्रक्रिया से प्रभावित लोगों को दूसरी जगह पर शिफ्ट किया गया है लेकिन उनकी शिकायतें तब से लेकर अब तक खत्म नहीं हो सकी। वर्तमान में कोयला कंपनी ने अपने चरण और आगे बढ़ाने तय किए हैं। इसके अंतर्गत प्रबंधन की ओर से एक पत्र ग्राम पंचायत रलिया, भिलाई बाजार और मुढिय़ानार को जारी किया गया है। इसमें कहा गया कि अर्जुन और विकास अधिनियम 1967 की धारा के अंतर्गत गेवरा क्षेत्र अंतर्गत इन क्षेत्रों का अधिग्रहण करने की सूचना भारत सरकार के राजपत्र में 18 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित की जा चुकी है जिसका क्रमांक 1785 है। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की ओर से प्रशासन की सूचना कलेक्टर कोरबा को दिए जाने पर उनकी ओर से उक्त ग्रामों में ड्रोन सर्व संपन्न कराने की अनुमति प्राप्त हुई है। इस विषय को लेकर साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की ओर से महाप्रबंधक खनन और स्टाफ ऑफिसर लैंड रिकॉर्ड गेवरा क्षेत्र के द्वारा पत्र जारी किया गया है । संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच को बताया गया है कि प्रशासन के इस अनुमति व निर्देश के परिपालन में संबंधित ग्रामीण क्षेत्र के मकान और अन्य परिसंपत्तियों का वास्तविक छायांकित चित्रण किसी भी व्यक्ति विशेष के निजता का हनन किए बिना ड्रोन सर्वे किए जाने हेतु 12 नवंबर से 18 नवंबर तक की तिथि सुनिश्चित की गई है। इसके लिए समय सुबह 11:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक निर्धारित किया गया है। ग्राम पंचायत को कहा गया है कि वह प्रशासन के उक्त निर्देशों के संबंध में आवश्यक सहयोग देंगे। इससे पहले हरदी बाजार और अन्य क्षेत्रों में लोगों ने सर्वे की प्रक्रिया का जमकर विरोध किया और कुछ मौका पर अधिकारियों को गांव से चलता कर दिया। बना हुआ है टकरावयहां बताना उचित होगा कि कोरबा जिले के कोरबा से लेकर कुसमुंडा, दीपका विस्तार आदि क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाने को लेकर दबाव है। इसलिए इन क्षेत्रों में नए कोयला भंडार का सर्वेक्षण करने के साथ जमीन अर्जित करने की प्रक्रिया तेज है। हर खाते पर रोजगार के साथ-साथ स्वरोजगार में प्राथमिकता देने और मुआवजा की बड़ी कीमत को लेकर प्रभावित लोग लगातार दबाव बनाए हुए हैं। यही कारण है कि इन क्षेत्रों में लगातार धरना प्रदर्शन के साथ-साथ उत्पादन संबंधी गतिविधियों को बंद करने के मामले आए दिन आते रहते हैं।
























