शहर में सरकारी काम, अफसर ने देवरमाल पंचायत को बनाया निर्माण एजेंसी

जनपद में डबल स्टोरी भवन के काम पर 32 लाख खर्च
कोरबा। गुड गवर्नेंस की बातें लगातार हो रही है और इस पर लगातार भरोसा किया जा रहा है। इसके ठीक उल्टे कुछ ऐसे भी किस्से हैं जो हर किसी को हैरान करते हैं। आश्चर्य की बात रहेगी पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के स्थानीय जनपद पंचायत में भवन निर्माण कार्य कराया जा रहा है और इसमें कोई और नहीं बल्कि ग्राम पंचायत एजेंसी है। अपने तरह का यह बिल्कुल अलग मामला है जिसने व्यवस्था पर कई प्रकार के सवाल खड़े कर दिए हैं।
कोरबा के कलेक्ट्रेट से महज 250 मीटर की दूरी पर यह निर्माण कार्य जनपद पंचायत कार्यालय परिसर में चल रहा है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी के सरकारी आवास के क्षेत्र में इस कार्य को पिछले नहीनों स्वीकृत किया गया। इसकी लागत 32 लाख रुपए बताई गई है। सरकारी कार्य मैं सहजता लाने और व्यवस्था की दृष्टिकोन से इस भवन का निर्माण किया जा रहा है। खबर के अनुसार जिले के एक सिर से यह कार्य संपन्न कराया जाना है। इसका प्रस्ताव कब हुआ था इस बारे में जनपद के अधिकारियों को खुद जानकारी नहीं है।
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि निर्माण कार्य शहरी क्षेत्र में हो रहा है और इसके लिए निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत देवरमाल को बनाया गया है। सामान्य तौर पर निर्माण कार्यों के मामले में इस तरह के क्राइटेरिया नहीं है और ना ही इस प्रकार से काम किया जाता है। ऐसा पहली बार हुआ जब ग्रामीण क्षेत्र की किसी पंचायत को सीधे तौर पर काम करने के लिए शहरी क्षेत्र में अवसर दिया गया। जानकारों का कहना है कि निर्माण के मामले में ऐसी कोई प्रावधान नहीं है और ना ही ऐसी कोई गाइडलाइन सरकार की ओर से जारी की गई है। लेकिन कोरबा जिले में कामकाज को लेकर नियम बहुत ज्यादा मायने नहीं रखते शायद इसीलिए जनपद पंचायत की डबल स्टोरी बिल्डिंग के निर्माण के लिए शायद इस तरीके को अमल में ले लिया गया है।
जानकारी मिली है कि निर्माण कार्य के लिए समय सीमा तय की गई है और इस अवधि में काम पूरा हो सके इसका ध्यान रखने को कहा गया है। यहां बताना आवश्यक होगा कि इससे पहले कई मेको पर जिले के अधिकारियों ने ग्रामीण क्षेत्र का दौरा करने पर वहां कई प्रकार की कमियों को पाया और इन मामलों में नाराजगी जताने के साथ कार्रवाई के निर्देश दिए। सबसे बड़ा सवाल यह है शहरी क्षेत्र में ग्राम पंचायत को एजेंसी बनाने के मामले में क्या अधिकारियों का ध्यान नहीं गया या फिर उन्होंने इस तरफ से आंखें मूंद ली है।

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