
रायपुर, 13 नवंबर । पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल पर बड़ी कार्रवाई। उसकी संपत्ति अटैच की गई है। चैतन्य के हक वाली करीब 61.20 करोड़ की संपत्ति अटैच की गई है। चैतन्य 3 हजार करोड़ के शराब घोटाले में 16 जुलाई से गिरफ्तार है। कल ही उसकी न्यायिक रिमांड 26 नवं तक बढ़ा दी गई है। इस घोटाले में अब तक अन्य आरोपियों की कुल 276.20 करोड़ की संपत्ति अटैच की जा चुकी है।

ED ने मनी लॉन्ड्रिंग में बताए करोड़ों के लेनदेन के सबूत
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। इस मामले में गिरफ्तार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की रिमांड अवधि को अदालत ने 26 नवंबर 2025 तक बढ़ा दिया है। बुधवार को उन्हें EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां सुनवाई के बाद यह निर्णय लिया गया।
ED की कार्रवाई और आरोप
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चैतन्य बघेल को 18 जुलाई 2025 को उनके भिलाई स्थित निवास से गिरफ्तार किया था। ED की जांच में यह सामने आया कि चैतन्य ने 16 करोड़ 70 लाख रुपए की अवैध कमाई को अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट किया था। एजेंसी के मुताबिक, इस राशि को ठेकेदारों को नकद भुगतान, फर्जी बैंक एंट्री और फ्लैट खरीदी के बहाने से उपयोग किया गया।
विट्ठलपुरम प्रोजेक्ट में फर्जी फ्लैट खरीद का आरोप
ED के अनुसार, चैतन्य बघेल ने कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लो के साथ मिलकर विट्ठलपुरम नामक परियोजना में फर्जी फ्लैट खरीद की योजना बनाकर 5 करोड़ रुपए का लेनदेन किया।
इन फ्लैटों को त्रिलोक सिंह ढिल्लो के कर्मचारियों के नाम पर खरीदा गया था, लेकिन वास्तविक लाभार्थी चैतन्य बघेल ही थे।
1000 करोड़ से अधिक राशि के ट्रांजेक्शन के सबूत
जांच में खुलासा हुआ कि चैतन्य बघेल ने इस घोटाले से जुड़ी 1000 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध धनराशि को हैंडल किया। यह पैसा कारोबारी अनवर ढेबर और अन्य माध्यमों से छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष तक पहुंचाया गया।
बताया जा रहा है कि यह राशि बघेल परिवार के करीबी लोगों द्वारा आगे इन्वेस्टमेंट के लिए प्रयोग की गई थी।
3200 करोड़ के घोटाले की पुष्टि
ED द्वारा दर्ज FIR में 3200 करोड़ रुपए से अधिक के शराब घोटाले की बात कही गई है। इस घोटाले में राजनेता, आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और कारोबारी शामिल पाए गए हैं।
जांच में सामने आया कि तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी ए.पी. त्रिपाठी, और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट ने इस बड़े आर्थिक घोटाले को अंजाम दिया था।
























