
कांग्रेस के लिए फिर मंथन का मौका
कोरबा। दो चरण में संपन्न हुए बिहार के विधानसभा चुनाव के नतीजे आज घोषित हो रहे हैं। दोपहर तक जो तस्वीर बनी उससे साफ दिख रहा है कि विभिन्न सर्वे एजेंसियों के एग्जिट पोल को पीछे छोड़ते हुए एनडीए काफी आगे है जबकि महागठबंधन की हवा निकलती नजर आ रही है। भाजपा ने छत्तीसगढ़ के अनेक नेताओं को बिहार में चुनाव प्रचार की कमान सौंपी थी। बिहार की जीत से वे खुश हैं जबकि कांग्रेस के प्रदर्शन से उसके नेताओं को मंथन का मौका मिल रहा है।
बिहार में विधानसभा की 243 सीटों पर चुनाव हुआ था। भाजपा ने जदयू और कुछ दलों के साथ मिलकर इस चुनाव को लड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के चेहरे को आगे रखकर पूरा कैम्पेन किया गया। पूर्व की तरह इस बार भी चुनाव में वे सभी पैतरे अपनाए गए जिसकी जरूरत थी। पिछले वर्षों में आपराधिक ग्राफ में कमी आने से लोगों ने राहत महसूस की और केंद्र की योजनाओं ने काफी असर डाला। आज जब नतीजे घोषित हो रहे हैं और एनडीए को बंपर सफलता मिलती नजर आ रही है तब यह कहा जा रहा है कि बिहार के जातीय समीकरण इस बार कहीं न कहीं काम नहीं आए और जनता ने अच्छे कार्यों पर मुहर लगाई। याद रहे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, अरूण साव के अलावा रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल, राजनांदगांव सांसद संतोष पांडेय के अलावा केबिनेट मंत्री ओपी चौधरी, लखनलाल देवांगन, रामविचार नेताम व अन्य को बिहार चुनाव में प्रचार की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने विभिन्न समीकरण को ध्यान में रखते हुए बांका से लेकर लालगंज, बांकीपुर, छपरा, औरंगाबाद, गया समेत 20 से अधिक सीटों पर प्रचार किया। खास बात यह रही कि मजबूत जनाधार और नए कार्यों के आधार पर इन सीटों में अच्छा प्रदर्शन रहा। इसलिए स्वाभाविक रूप से बिहार चुनाव की जीत से भाजपा खेमा छत्तीसगढ़ में खुश है। वजह यह भी है कि छत्तीसगढ़ प्रभारी और बिहार के मंत्री नितीन नवीन ने बेहतर प्रदर्शन किया। इसके अलावा कांग्रेस ने मुंगेर, बेगुसराय, औरंगाबाद, कटिहार, भागलपुर समेत कई सीट के लिए छत्तीसगढ़ से पर्यवेक्षक भेजे थे लेकिन ये कुछ खास नहीं कर सके। ऐसी स्थिति में एक बार फिर कांग्रेस के सामने मंथन का मौका उपस्थित है।



















