
कोरबा। पर्यावरण संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक पेड़ मां के नाम अभियान प्रधानमंत्री ने शुरु कराया। इसके अंतर्गत सभी क्षेत्रों में लोगों को इस अभियान से जोडऩे की कोशिश की गई ताकि उन्हें पर्यावरण के मामले में जवाबदेह बनाया जा सके। इसके ठीक उल्टे कोरबा जिले में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एनटीपीसी ने बड़ी संख्या में टाउनशिप क्षेत्र से हरे-भरे पेड़ों को कटवा दिया। मामले ने तूल पकड़ा तो प्रमाण बन चुके ठूंठों को भी हटवाने की व्यवस्था की जा रही है।
खबरों के अनुसार टाउनशिप क्षेत्र से जिन पेड़ों को कटवाने का काम व्यापक पैमाने पर प्रबंधन की ओर से किया गया उनमें इमारती और अन्य प्रजातियां शामिल बताई जा रही है। इनमें ऐसे वृक्ष भी साफ कर दिए गए जो जलवायु के साथ-साथ ऑक्सीजन के मामले में उपयोगी माने जाते हैं। व्यवस्था के तहत इन्हें कटवाने का काम किया गया। इस प्रकार के दावे किए गए। एक तरह से यह सब करने के साथ प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों ने जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा शुरु किए गए पर्यावरण संरक्षण अभियान पर पलीता लगा दिया, वहीं उनके कहने पर श्रम शक्ति ने जीविका के लिए पर्यावरण को महत्व देना जरूरी नहीं समझा।
बताया गया कि एनटीपीसी प्रबंधन स्वच्छता को लेकर बहुत ज्यादा गंभीर रहता है। कहीं कुछ भी बेमतलब नजर न आए इस इरादे से टाउनशिप के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों को चकाचक बनाए रखने पर उतारू है चाहे इसके लिए कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। इसलिए टाउनशिप एरिया से हरियाली की समाप्ति के लिए पर्यावरण जलवायु परिवर्तन विभाग से अनुमति लेना जरूरी नहीं समझा गया। इसी मामले में यह भी पता चला है कि कुछ समय पहले कटघोरा वनमंडल के पास एनटीपीसी के कुछ कर्मी पहुंचे थे। उन्हें मौके का नक्शा, खसरा और प्रयोजन प्रस्तुत करने को कहा गया था। इस मामले में आगे क्या कुछ कार्यवाही की गई इसकी जानकारी नहीं मिल सकी।
प्रदूषण को लेकर उदासीनता जारी
इससे पहले एनटीपीसी प्रबंधन प्रशासन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण मंडल के निशाने पर आ चुका है। विभिन्न क्षेत्रों में फ्लाईऐश के फैलाव और प्रदूषण की स्थिति से जन स्वास्थ्य के खतरे को लेकर उसे नोटिस मिल चुके हैं। कोरबा जिले में जिन स्थानों पर एनटीपीसी ने अपने संयंत्र से उत्सर्जित फ्लाईऐश के भंडारण के लिए ऐशडाइक बना रखी है उससे आसपास का इलाका संकट में है।





















