
भुवनेश्वर, २६ नवंबर ।
सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) ने आधिकारिक रूप से ओडिशा पुलिस सब-इंस्पेक्टर भर्ती घोटाले की जांच अपने हाथों में ले ली है। बरहमपुर की विजिलेंस कोर्ट ने मंगलवार को सभी संबंधित दस्तावेज केंद्रीय एजेंसी को सौंप दिया है। यह केस फाइलें, जो पहले गंजाम जिले के गोलंथरा थाने में दर्ज थी और बाद में ओडिशा क्राइम ब्रांच को स्थानांतरित की गई थी, अब भुवनेश्वर सीबीआई कोर्ट की निगरानी में जांची जाएंगी।
अदालत का यह निर्देश कई गिरफ्तारियों के बाद आया है, जिनमें कथित मास्टरमाइंड शंकर पृष्टी भी शामिल हैं। सोमवार रात पृष्टी और 11 अन्य आरोपियों को बरहमपुर से भुवनेश्वर स्थित झारपाड़ा स्पेशल जेल ले जाया गया, जहां वे न्यायिक हिरासत में हैं। जैसे-जैसे जांच का दायरा बढ़ता गया, इसे क्राइम ब्रांच को सौंपा गया, जिसने गिरफ्तारियां की, पूछताछ की और डिजिटल सबूत जुटाए। ओडिशा सरकार के निर्देश के बाद अब सभी जिम्मेदारियां सीबीआई को दे दी गई है। दस्तावेजों का हस्तांतरण पूरा होने के साथ ही केंद्रीय एजेंसी अपनी स्वतंत्र जांच शुरू करेगी। आगे की सभी सुनवाई अब भुवनेश्वर सीबीआई कोर्ट में होंगी। मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई को सौंपे गए दस्तावेजों में फोरेंसिक रिपोर्ट, डिजिटल साक्ष्य, जब्ती सूची और क्राइम ब्रांच की पूछताछ रिपोर्ट शामिल हैं।
उम्मीद है कि सुनवाई शुरू होने के बाद सीबीआई, प्रमुख आरोपियों की कस्टडी भी मांगेगी। हस्तांतरण की प्रक्रिया के बीच, मुख्य आरोपी शंकर पृष्टी की गिरफ्तारी ने घोटाले के संभावित बड़े नेटवर्क को लेकर अटकलें तेज कर दी हैं। भुवनेश्वर ले जाए जाने से पहले मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में पृष्टी ने एक रहस्यमय बयान दिया कि उसके पास पिछली सरकार में हुए 1000 करोड़ के सौदे से जुड़े सबूत हैं। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के समय अगर मैं सरेंडर नहीं करता, तो 1000 करोड़ का सौदा नहीं होता। यह मैंने नहीं, बल्कि षड्यंत्रकारियों ने किया है।मेरे पास सभी सबूत हैं और मुझे कानून पर भरोसा है। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया।





















