कबाड़ में तब्दील हो रही पंचायतों में बनी गुमटियां

जांजगीर-चांपा। जांजगीर व जिला सक्ती के ग्राम पंचायतों में करोड़ों रुपए की लागत से बने अटल व्यवसायिक परिसर का उपयोग नहीं हो पा रहा है। शिक्षित बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोडऩे पंचायतों में कॉम्पलेक्स का निर्माण कराया गया है, लेकिन कई स्थानों पर दुकाने पड़े पड़े कबाड़ हो रही हैं। कई गांव में आबंटन का पेंच फंसा होने के कारण दुकाने बंद पड़ी हैं। वहीं बहुत से ऐसे भी दुकान हैं, जिनका आबंटन होने के बाद भी उपयोग नहीं किया जा रहा। गांव के बेरोजगारों को ग्रामीण स्तर वर ही स्वरोजगार से जोडऩे करोड़ों रुपए की लागत से अटल व्यवसायिक परिसर बनाया गया है, लेकिन इन परिसरों का उपयोग सालों बाद भी नहीं हो पा रहा है। इस तरह की स्थिति बहुत से ग्राम पंचायतों में देखने को मिल रही है। बलौदा विकासखंड के ग्राम पंचायत कमरीद में 8 लाख की लागत से पांच अटल व्यवसायिक परिसर बनाया गया है, ताकि गांव के शिक्षित युवा बेरोजगार मोबाइल कंप्यूटर किराना दुकान पान दुकान एवं अन्य संस्थानों का संचालन कर सके, लेकिन दुकानों में ताला लटका हैं। इसी प्रकार ग्राम पंचायत पिसौद में बना अटल व्यवसायिक परिसर खाली पड़ा हुआ है। बम्हनीडीह ब्लॉक के ग्राम पंचायत पोड़ीशंकर में 5 लाख की लागत से बने कॉम्पलेक्स की अधिकांश दुकाने बंद हैं। यहां के व्यवसायिक परिसर भवन का उपयोग भी नहीं किया जा रहा है, जबकि गांव में शिक्षित युवा बेरोजगारों की कोई कमी नहीं है। ग्राम पंचायत तालदेवरी में भी अटल व्यवसायिक परिसर भवन का उपयोग नहीं हो पा रहा है। ग्राम पंचायत बंसुला और लखुरी में भी अटल व्यवसायिक परिसर का उपयोग नहीं हो रहा है। कुल मिलाकर देखा जाए तो राज्य शासन के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले युवा बेरोजगार गांव स्तर पर ही स्वरोजगार से जोडऩे के लिए लाखों रुपए खर्च किये गए हैं, लेकिन योजना का क्रियान्वयन ग्राम पंचायतों में नजर नहीं आ रहा है।

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