नेता प्रतिपक्ष महंत ने कहा धान खरीदी केन्द्रों में हो रही अवैध वसूली

कोरबा। विपक्ष के नेता डॉ चरणदास महंत ने छत्तीसगढ़ में चल रही धान खरीद प्रक्रिया पर चिंता जताई और आरोप लगाया कि किसानों से ‘अवैध’ श्रम शुल्क वसूला जा रहा है, जिसका भुगतान सरकार को करना चाहिए।उन्होंने चेतावनी दी कि सहकारी समिति के कर्मचारियों और डेटा एंट्री ऑपरेटरों की हड़ताल का समाधान न होने से राज्य भर में खऱीद कार्य पटरी से उतर सकता है। मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में, महंत ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खऱीद केंद्रों पर किसानों से बोरी भरने और मज़दूरी के नाम पर कथित तौर पर लिए जा रहे 7.50 रुपये प्रति क्विंटल के शुल्क को तुरंत रोकने की माँग की।उन्होंने कहा कि किसानों से कहा जा रहा है कि या तो वे भरा हुआ बोरा लेकर आएं या फिर मजदूरों को 3 रुपये प्रति बोरा (40 किलोग्राम) का भुगतान करें, ऐसा न करने पर उनका धान नहीं खरीदा जा रहा है।उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार पहले से ही राज्य की खरीद एजेंसियों को बोरियों में भरने, तौलने, सिलाई, मार्किंग, लोडिंग और स्टैकिंग सहित सभी परिचालन लागतों को पूरा करने के लिए 22.05 रुपये प्रति क्विंटल प्रदान करती है। 9 अक्टूबर, 2025 के एक केंद्रीय परिपत्र का हवाला देते हुए, उन्होंने आरोप लगाया कि 2023-24 और 2024-25 सीज़न में ‘अवैध वसूली’ 220.68 करोड़ रुपये की है और इस प्रथा को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार कार्रवाई करने में विफल रही तो कांग्रेस राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेगी।एक अन्य पत्र में, महंत ने बताया कि 2025-26 का खरीद सत्र 15 नवंबर से शुरू होने वाला है, लेकिन हजारों सहकारी और खरीद कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण 2,058 प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों और 2,739 खरीद केंद्रों के कार्यालय बंद हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने हड़ताल समाप्त करने में कोई प्रगति नहीं की है, जिससे खरीद की सुचारू शुरुआत ‘लगभग असंभव’ हो गई है।हड़ताली कर्मचारियों ने चार पुरानी माँगें उठाई हैं, जिनमें खरीदे गए धान का समय पर निपटान और सहकारी समितियों को देय कमीशन का भुगतान शामिल है ताकि वे कर्मचारियों का वेतन दे सकें। महंत ने कहा कि खरीद केंद्रों पर धान की कमी—धान के उठान में देरी का नतीजा—को गलत तरीके से लापरवाही माना जा रहा है, जिसके कारण कर्मचारियों से अनुचित वसूली और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि लंबे समय तक भंडारण के कारण प्राकृतिक सुखाने से वजन अनिवार्य रूप से कम हो जाता है।विपक्ष के नेता ने डेटा एंट्री ऑपरेटरों की शिकायतों को भी उजागर किया, जो उनके अनुसार, कम्प्यूटरीकृत खरीद प्रक्रिया के लिए आवश्यक हैं। पिछले साल तक, उन्हें 12 महीने का वेतन मिलता था, लेकिन 2025-26 के लिए सरकार ने मार्केटिंग फेडरेशन के माध्यम से उन्हें केवल छह महीने का वेतन देने और आउटसोर्सिंग के माध्यम से उनकी नियुक्ति करने का निर्णय लिया। इस फैसले को ‘बेहद अन्यायपूर्ण ‘बताते हुए महंत ने कहा कि डेटा एंट्री ऑपरेटर 18 साल से काम कर रहे हैं और उन्हें बेहतर सुविधाएँ मिलनी चाहिए, कम नहीं। उन्होंने कहा कि पूरे साल का वेतन और नियमितीकरण की उनकी माँगें जायज़ हैं।

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