
हेलीपेड से लेकर वेस्टर्न क्वारी के आसपास ऐसी गतिविधियां
कोरबा। अनेक मौकों पर शहरी क्षेत्र में अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन की कार्यवाही के बावजूद इस तरह की हरकतों को रोका जाना संभव नहीं हो सका है। प्रशासन एक तरफ कार्यवाही करता है और दूसरी तरफ अतिक्रमणकर्ता सिर उठाना शुरू कर देते हैं। सवाल यह है कि आखिर जहां कही भी इस तरह की गतिविधियां चल रही है, उनका संरक्षक है कौन?
कोरबा में एसईसीएल हेलीपेड के नजदीक कोयला कंपनी द्वारा पिछले वर्षों में पर्यावरण संरक्षण के इरादे से ग्रीन बेल्ट विकसित किया गया, जो खुद ही अब गंभीर स्थिति में है। धीरे-धीरे यहां से हरे-भरे पेड़ों की कटाई करते हुए अतिक्रमण जारी है। कहना गलत नहीं होगा कि सरकार के सिस्टम के ही गलती के चक्कर में यहां अतिक्रमण को बढ़ावा मिला। गैर जरूरी तरीके से कई सामाजिक इकाईयों को जमीन दे दी गई। इस पर काफी समय से विवाद की स्थिति बनी हुई है। दुष्परिणाम यह है कि इसी की देखासीखी ग्रीन बेल्ट के बड़े हिस्से में अवैध कब्जा या तो कर लिया है या इसका विस्तार किया जा रहा है। जानकार सूत्र बताते हैं कि कब्जा करने वालों को सफेदपोशों का संरक्षण मिला हुआ है। कहा तो यह भी जा रहा है कि इसी आड़ में कई नेतानुमा लोगों ने भी इस इलाके में जमीन दबाना शुरू कर दिया है ताकि बाद में इसे एक नंबर कर लाभ लिया जा सके।
हेलीपेड के अलावा कोरबा के राताखार इलाके में बायपास के आसपास पंचर दुकान, ढाबा और दूसरी श्रेणी की दुकानें चलाने के नाम पर कुछ लोगों ने महीनों पहले जमीन हथियाने की कोशिश की। प्रशासन और नगर निगम पर जब सवाल खड़े हुए तो आनन फानन में अभियान शुरू करते हुए कार्यवाही जरूरी समझी गई। याद रहे, रेलवे स्टेशन के सामने एसईसीएल की वेस्टर्न क्वारी के आसपास के हिस्से में मुक्तिधाम वाले इलाके में काफी समय पहले बेजाकब्जा हो चुका है। कुछ दिवंगतों की याद में उनके परिजनों द्वारा बनाए गए कब्र को भी मौके से समाप्त कर दिया गया। कुछ समय तक इसे लेकर विवाद की स्थिति जरूर रही लेकिन बाद में सब कुछ ठंडा पड़ गया। ये सब तस्वीरें बताती है कि शहर में अतिक्रमण का खेल बड़े स्तर पर चल रहा है। स्वाभाविक है कि जब तक कोई बड़ा हाथ ऐसे लोगों के सिर पर ना हो, उनके कदम आगे नहीं बढ़ सकते।
मानिकपुर नाला के पास भी ऐसे ही हालात
कोरबा में अतिक्रमण करने वाले वर्ग ने तो मानिकपुर क्षेत्र में हद पार कर दी। मानिकपुर कालोनी जाने वाले रास्ते पर नाला के एक तरफ पूरी अवैध बस्ती बस गई और वह भी एसईसीएल की जमीन पर। लंबे समय से यह सिलसिला जारी रहा। सबसे हैरानी की बात यह रही कि मामले को अवैध मानते हुए भी सीएसईबी ने नियम शर्तों को ठेंगा दिखाते हुए यहां कनेक्शन दे दिए। वोट बैंक के चक्कर में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई। जब मानिकपुर नाला के दूसरी तरफ पूर्व पार्षद की शह पर ऐसा ही काम शुरू हो इसे बुलडोज कर दिया गया।


















