कफ सीरप मामले की जांच करेगी एसआईटी, यूपी में निरस्त होंगे 280 दवा कारोबारियों के लाइसेंस, प्रक्रिया शुरू

लखनऊ, 09 दिसम्बर ।
कोडीन युक्त कफ सीरप की अवैध सप्लाई का नेटवर्क अन्य राज्यों के साथ ही प्रदेश के 28 से अधिक जिलों में फैला है। कफ सीरप की अवैध सप्लाई बांग्लादेश व नेपाल तक किए जाने के तथ्य भी सामने आए हैं। इस गंभीर मामले की जांच अब एसआईटी (विशेष जांच दल) करेगी। प्रमुख सचिव, गृह संजय प्रसाद के अनुसार चूंकि यह मामला कई जिलों व अन्य राज्यों से जुड़ा है, इसलिए जांच के लिए एसआईटी गठित किए जाने का निर्णय किया गया है। आईजी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व मेें एसआईटी जांच करेगी, जिसमें खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) के अधिकारी भी शामिल रहेंगे। लोक भवन में प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी राजीव कृष्ण व एफएसडीए की आयुक्त रोशन जैकब ने संयुक्त प्रेसवार्ता में खासकर यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रकरण में इंटरनेट मीडिया पर कई भ्रामक तथ्य भी प्रसारित हो रहे हैं। प्रमुख सचिव गृह ने यह भी साफ किया कि कोल्ड्रिफ सीरप से प्रदेश में एक भी मौत नहीं हुई है। दरअसल, इंटरनेट मीडिया पर मध्य प्रदेश में हुई बच्चों की मौत के मामले को प्रदेश में अवैध कफ सीरप की सप्लाई के मामले से जोडक़र भी कुछ संदेश प्रसारित हो रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अवैध मादक पदार्थों व ड्रग माफिया के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की स्पष्ट नीति के तहत कार्रवाई की जा रही है।
डीजीपी ने बताया कि कफ सीरप मामले में अब तक 28 जिलों में 128 मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। इनमें सर्वाधिक 38 मुकदमे वाराणसी में दर्ज हैं। अब तक तीन सुपरस्टाकिस्ट भोला प्रसाद जायसवाल, विभोर राणा व सौरभ त्यागी समेत 35 आरोपित गिरफ्तार किए गए हैं। इनसे कफ सीरप की साढ़े तीन लाख बोतलें बरामद हुई हैं। मुख्य आरोपित शुभम जायसवाल समेत कई अन्य की तलाश की जा रही है।
कहा कि बीते दो माह में एफएसडीए, जिला पुलिस व एसटीएफ ने अभियान के तहत कोडीन युक्त कफ सीरप व एनडीपीएस श्रेणी की दवाओं के अवैध भंडारण, क्रय-विक्रय, वितरण व अवैध डायवर्जन की जांच कर कार्रवाई की जा रही है। केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (सीबीएन), मध्य प्रदेश की सूचना पर एफएसडीए मुख्यालय की विशेष टीम ने हिमाचल प्रदेश में दो व उत्तराखंड में तीन कोडीन युक्त सीरप की निर्माता फर्मों, हरियाणा स्थित निर्माता फर्म के डिपो, रांची (झारखंड) स्थित एक बहुराष्ट्रीय निर्माता फर्म के सुपर स्टाकिस्ट सैली ट्रेडर्स की गहन जांच की। लखनऊ, 09 दिसम्बर ।
कोडीन युक्त कफ सीरप की अवैध सप्लाई का नेटवर्क अन्य राज्यों के साथ ही प्रदेश के 28 से अधिक जिलों में फैला है। कफ सीरप की अवैध सप्लाई बांग्लादेश व नेपाल तक किए जाने के तथ्य भी सामने आए हैं। इस गंभीर मामले की जांच अब एसआईटी (विशेष जांच दल) करेगी। प्रमुख सचिव, गृह संजय प्रसाद के अनुसार चूंकि यह मामला कई जिलों व अन्य राज्यों से जुड़ा है, इसलिए जांच के लिए एसआईटी गठित किए जाने का निर्णय किया गया है। आईजी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व मेें एसआईटी जांच करेगी, जिसमें खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) के अधिकारी भी शामिल रहेंगे। लोक भवन में प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी राजीव कृष्ण व एफएसडीए की आयुक्त रोशन जैकब ने संयुक्त प्रेसवार्ता में खासकर यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रकरण में इंटरनेट मीडिया पर कई भ्रामक तथ्य भी प्रसारित हो रहे हैं। प्रमुख सचिव गृह ने यह भी साफ किया कि कोल्ड्रिफ सीरप से प्रदेश में एक भी मौत नहीं हुई है। दरअसल, इंटरनेट मीडिया पर मध्य प्रदेश में हुई बच्चों की मौत के मामले को प्रदेश में अवैध कफ सीरप की सप्लाई के मामले से जोडक़र भी कुछ संदेश प्रसारित हो रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अवैध मादक पदार्थों व ड्रग माफिया के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की स्पष्ट नीति के तहत कार्रवाई की जा रही है।
डीजीपी ने बताया कि कफ सीरप मामले में अब तक 28 जिलों में 128 मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। इनमें सर्वाधिक 38 मुकदमे वाराणसी में दर्ज हैं। अब तक तीन सुपरस्टाकिस्ट भोला प्रसाद जायसवाल, विभोर राणा व सौरभ त्यागी समेत 35 आरोपित गिरफ्तार किए गए हैं। इनसे कफ सीरप की साढ़े तीन लाख बोतलें बरामद हुई हैं। मुख्य आरोपित शुभम जायसवाल समेत कई अन्य की तलाश की जा रही है।
कहा कि बीते दो माह में एफएसडीए, जिला पुलिस व एसटीएफ ने अभियान के तहत कोडीन युक्त कफ सीरप व एनडीपीएस श्रेणी की दवाओं के अवैध भंडारण, क्रय-विक्रय, वितरण व अवैध डायवर्जन की जांच कर कार्रवाई की जा रही है। केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (सीबीएन), मध्य प्रदेश की सूचना पर एफएसडीए मुख्यालय की विशेष टीम ने हिमाचल प्रदेश में दो व उत्तराखंड में तीन कोडीन युक्त सीरप की निर्माता फर्मों, हरियाणा स्थित निर्माता फर्म के डिपो, रांची (झारखंड) स्थित एक बहुराष्ट्रीय निर्माता फर्म के सुपर स्टाकिस्ट सैली ट्रेडर्स की गहन जांच की।

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