रात 10 बजे से कोरबा के वनांचल में बिजली गुल, धान उपार्जन केंद्रों की सुरक्षा पर खतरा

कोरबा। धान खरीदी का सीजन और उपर से हाथियों की दहशत। जिले के दूरस्थ और हाथी प्रभावित क्षेत्रों में शामिल उपार्जन केंद्रों में इन दिनों गजब की परेशानी है। एक तो हाथियों से जुड़े खतरे उपार्जन केंद्र के कर्मियों सहित आसपास के ग्रामीणों को मुश्किल में डाले हुए है, वहीं सीएसईबी के द्वारा 9 घंटे के लिए रात में बिजली गुल कर देने के कारण दुश्वारियां और बढ़ गई है। जंगल से सटे धान खरीदी केंद्रों में लोग धान को बचाएं या खुद को, यह ज्वलंत सवाल है।
खबर के अनुसार पिछले दो दिन से सीएसईबी ने कोरबा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले कई उपार्जन केंद्रों और अन्य ग्रामों के आसपास की बिजली रात 10 बजे से गुल करना शुरु कर दिया। हाथियों का खतरा बढऩे पर उसकी आफत होती है, यह सीएसईबी का तर्क है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि सीएसईबी अपनी झंझट कम करने के लिए हमारा सिरदर्द बढ़ाने में लगा हुआ है।
बताया गया कि दो अलग-अलग फीडर से विकासखंड के दूरस्थ धान उपार्जन केंद्र जुड़े हुए हैं, जहां पर बिजली वितरण की व्यवस्था सुनिश्चित होती है। बरपाली (जिल्गा), चचिया, कुदमुरा, चिर्रा और श्यांग आदि क्षेत्र बिजली गुल की समस्या से परेशानी का सामना कर रहे हैं। इन केंद्रों में बड़ी संख्या में किसानों का पंजीकरण है और उत्पादकता के हिसाब से धान का उपार्जन भी हो रहा है। हाल में ही हाथियों की आमद और उनके उत्पात बढऩे से वन विभाग ने नियंत्रण के हवा-हवाई दावे शुरु कर दिए। वहीं सीएसईबी ग्रामीण संभाग के द्वारा प्रभावित क्षेत्रों की बिजली रात 10 बजे से गुल की जा रही है जो सुबह 7 बजे के बाद आ रही है। 9 घंटे तक पूरा क्षेत्र अंधकार के साए में रहता है। कई तरह की समस्याओं के बीच इतने घंटे तक खतरे में रात गुजारना 50 हजार से भी अधिक की आबादी को चिंता में डाल रहा है।
इसलिए की जा रही आपूर्ति ठप
खबर के अनुसार हाथियों की उपस्थिति और बढ़ते खतरे के कारण सीएसईबी ने मौजूदा स्थिति में रात्रि में बिजली गुल करना शुरू किया है। पिछले वर्ष करतला क्षेत्र में ही एक स्थान पर बिजली तार में उलझकर हाथी की मौत होने पर वन विभाग ने सीएसईबी को निशाने पर लिया था, जिसके बाद एक लाइनमेन को आरोपी नामजद कर लिया गया। उसके बाद से सीएसईबी ने तोड़ निकाला कि वह समस्या बढऩे पर रात में आपूर्ति बंद कर देगा। उसका कहना है कि जहां कहीं बिजली के तार लटक रहे हैं, उसके संपर्क में हाथियों को रोकने के लिए यही एक तरीका हो सकता है ।खरीदी केंद्र कर्मी और ग्रामीणों की जान संकट में
बरपाली(जिल्गा) उपार्जन केंद्र में धान की सुरक्षा के लिए 7-8 कर्मचारियों को रात में जिम्मेदारी दी गई है। वहीं दूसरे केंद्रों में भी पर्याप्त अनुपात में कर्मचारी लगाए गए हैं जो धान की सुरक्षा करते हैं। इन सभी केंद्रों में प्रशासन के निर्देश पर चौतरफा प्रकाश व्यवस्था के लिए हैलोजन लाइट लगाए गए हैं, ताकि चोरी चकारी के साथ दूसरे स्तर पर सुरक्षा पुख्ता रहे। इस पर भी सीएसईबी द्वारा बिजली आपूर्ति बाधित कर देने से धान के साथ-साथ लोगों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। कर्मियों का कहना है कि अंधेरे में तो हाथी कहीं भी प्रवेश कर सकता है। ऐसे में होने वाले नुकसान की जिम्मेदारी और भरपाई क्या सीएसईबी करेगा।

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