
तिरूमला, १0 दिसम्बर ।
आंध्र प्रदेश के तिरुमला तिरुपति देवस्थानम मंदिर में लड्डू घोटाले के बाद अब एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। ट्रंस्ट का आरोप है कि 2015 से 2025 तक भक्तों-दानदाताओं को दिए जाने वाले पवित्र रेशमी (सिल्क) दुपट्टे असल में 100त्न पॉलिएस्टर के थे। दरअसल, लड्डू विवाद और परकमानी मामले के अलावा, प्रसिद्ध तिरुमाला मंदिर का संचालन करने वाले ट्रस्ट ने अब आरोप लगाया है कि पिछले एक दशक में रेशमी दुपट्टे बेचने वाली एक फर्म ने उन्हें करोड़ों रुपये का चूना लगाया है। नियम के अनुसार, हर दुपट्टे में शुद्ध शहतूत रेशम और रेशम होलोग्राम होना अनिवार्य था, लेकिन सप्लायर ने सस्ता पॉलिएस्टर थोपकर करीब 55 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। फर्म ने शुद्ध शहतूत रेशम के बजाय, 2015 से 2025 तक तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को 100त्न पॉलिएस्टर के दुपट्टे बेचे। ञ्जञ्जष्ठ चेयरमैन बीआर नायडू की अध्यक्षता में बोर्ड ने पूरा मामला आंध्र प्रदेश एंटी-करप्शन ब्यूरो को सौंप दिया है। दुपट्टे की जांच के लिए गोदाम और मंदिर परिसर से सैंपल लिए। इसके बाद बेंगलुरु व धर्मवरम की सेंट्रल सिल्क बोर्ड लैब में टेस्ट कराया गया। जांच के दौरान दोनों ही रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है कि सारे दुपट्टे पॉलिएस्टर के हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में दुपट्टा सप्लायर नागरी की ङ्कक्रस् एक्सपोर्ट्स को अभी-अभी 15,000 और दुपट्टों का नया ठेका भी दिया गया था। अब उस ठेके पर भी रोक लग गई है। बोर्ड ने मामले की जांच एंटी-करप्शन ब्यूरो को सौंपते हुए कथित धोखाधड़ी के पीछे के लोगों की पहचान करने को कहा है। तिरुमाला मंदिर के भीतर वीआईपी दर्शन के दौरान रंगनायकुला मंडपम में वेदासिरवाचनम के समय टीटीडी दानदाताओं और अन्य श्रद्धालुओं को रेशमी दुपट्टे भेंट किया जाता है।
पुरोहित दानदाताओं और वीआईपी दर्शन टिकट खरीदने वालों का अभिनंदन करते हैं।


















