
नई दिल्ली। एनसीआर की सीमा से परे जाकर, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) चार पड़ोसी राज्यों में उद्योगों में कोयले के उपयोग को पूरी तरह खत्म करने के प्रयासों में जुट गया है।
आयोग ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट को भी अवगत कराया है। आगामी कुछ महीनों के दौरान चरणबद्ध रूप में इसके परिणाम देखने को मिल सकते हैं। प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए इसे बड़ा कदम माना जा रहा है। सीएक्यूएम ने 19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट को प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कुछ उपायों की सूची दी है। उसमें दिल्ली से सटे राज्यों के गैर-एनसीआर वाले जिलों में उद्योगों में कोयले के उपयोग पर रोक लगाने का सुझाव दिया है। यह अन्य उत्सर्जन स्त्रोतों के साथ-साथ गैर-एनसीआर क्षेत्रों में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर भी ध्यान केंद्रित करने की दिशा में बड़े बदलाव का संकेत है। अभी तक, एनसीआर क्षेत्रों से परे वायु प्रदूषण के स्त्रोतों के खिलाफ कार्रवाई पराली जलाने, ईंट भट्टों व थर्मल पावर प्लांटों से होने वाले उत्सर्जन पर केंद्रित थी। राज्यों से मांगी कार्ययोजनासुप्रीम कोर्ट को अवगत कराने के बाद सीएक्यूम ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब से कहा है कि वे एनसीआर से बाहर के उन शहरों मे भी उद्योगों में कोयले के प्रयोग पर रोक लगाएं, जो दिल्ली के 300 किमी के दायरे में आते हैं।




















