पीडबल्यूडी और शिक्षा विभाग के डेढ़ दर्जन आवास गायब

जनकपुर। एमसीबी जिले का तहसील मुख्यालय जनकपुर में सरकारी आवासों और सरकारी प्रयोजन के लिए आरक्षित सरकारी जमीन को कब्जाने के मामले में भले ही भूमाफियाओं और दबंगों का नाम कुख्यात है। पर जनकपुर मे पदस्थ व कार्यरत कर्मचारी भी इस मामले मे किसी से पीछे नहीं हैं। यहां मुख्य सडक़ पर स्थित लोक निर्माण विभाग एवं शिक्षा विभाग सहित जनपद पंचायत व महिला बाल विकास विभाग का वर्षों पहले शासकीय आवास बना हुआ था। जिस पर यहां पदस्थ कर्मचारियों को निवास करने के लिए सम्बन्धित विभागों द्वारा आबंटित भी किया जाता रहा है। पर जनकपुर मे ही डेढ़ से दो दशक तक पदस्थ रहने से इन सरकारी कर्मचारियों के मन मे लालच आ गया और अब सेवा निवृत्त होने के बाद भी सरकारी आवास से कब्जा नहीं हटा रहे हैं। बल्कि राजनीतिक दलों के छुटभईया नेताओं और स्थानीय अधिकारियों से सांठगांठ कर अब सरकारी आवासों को तोडक़र निजी पक्का मकान व दुकान बनाकर परिवार सहित बेखौफ होकर निवास कर रहे हैं। इन सरकारी कर्मचारियों की भूख का आलम यह है कि जन उपयोगी शासकीय भवनो के लिए आरक्षित अति आवश्यक सरकारी भूमि पर भी गिद्ध नजर डालकर वहां भी अपनी पत्नी एवं बच्चों के नाम पर शासकीय भूमि में कब्जा कर निजी मकान व दुकान बनाकर खुलेआम किराया से संचालित कर रहे हैं। जनकपुर नगर में विभागीय शासकीय आवासों पर सरकारी कर्मचारियों द्वारा अवैध कब्जा के कई मामले ऐसे है जिसकी शिकायत स्थानीय निवासियों ने समय समय पर जिले से लेकर राज्य स्तर तक किए पर किसी भी अवैध कब्जाधारी सरकारी कर्मचारियों पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है। तहसील मुख्यालय जनकपुर स्थित लोक निर्माण विभाग एवं शिक्षा विभाग के लगभग डेढ़ दर्जन से ज्यादा शासकीय आवासों मे रहने वाले सरकारी कर्मचारियों ने ही अवैध रूप से तोडक़र अपना निजी मकान व दुकान का पक्का निर्माण कर परिवार सहित बेरोकटोक निवास कर रहे हैं। जबकि इनमे कई सरकारी कर्मचारी सेवा निवृत्त भी हो चुके हैं। परन्तु अधिकांश शासकीय आवास मुख्य सडक़ पर स्थित होने की वजह से कीमती है, जिससे सरकारी कर्मचारी शाम दाम दण्ड भेद सहित सभी हथकंडों को अपनाकर सरकारी आवासों में कब्जा बरकरार रखे हुए हैं साथ ही शासकीय आवासों को तोडक़र निजी मकान व दुकान बना लिए हैं, जिससे वर्तमान समय मे कई शासकीय आवास गायब हो गए हैं और उनका नामोनिशान ही मिट गया हैं। जबकि विभागीय दस्तावेजों में शासकीय आवास दर्ज है। जनकपुर स्थित लोक निर्माण विभाग, शिक्षा विभाग के सरकारी आवासों को तोडक़र खुलेआम निजी मकान व दुकान बनाकर शासकीय आवासों का स्वरूप बदलने की जानकारी मिलने पर स्थानीय स्तर पर पदस्थ विभागीय अधिकारियों द्वारा अपनी विभागीय आवासों को बचाने की जगह खानापूर्ति के तर्ज पर तहसील कार्यालय भरतपुर मे पत्र लिख देते है और शान्त होकर बैठ जाते हैं। इधर तहसील कार्यालय भी अवैध कब्जाधारी सरकारी कर्मचारियों को कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति करने के लिए केवल नोटिश तो काट देता है और सेटिंग करके आगे की कार्यवाही करना भूल जाता हैं। जिससे जनकपुर नगर मे मुख्य सडक़ पर स्थित कीमती शासकीय जमीन पर बना कई विभागीय सरकारी आवास वर्तमान में ढूंढऩे पर भी नहीं मिल रहा हैं।

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