
नई दिल्ली | केंद्र सरकार ने घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ावा देने और बाजार में खनिज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कोयला मंत्रालय ने खान और खनिज विकास एवं विनियमन (MMDR) अधिनियम में बड़े संशोधनों का प्रस्ताव दिया है, जिसके तहत निजी इस्तेमाल वाली (कैप्टिव) खदानों से कोयला और लिग्नाइट की बिक्री पर लगी 50 फीसदी की वर्तमान सीमा को हटाने की तैयारी है।
स्टॉक की समस्या और सुरक्षा जोखिमों से मिलेगा छुटकारा
वर्तमान नियमों के अनुसार, कैप्टिव खदान संचालक अपनी जरूरतों को पूरा करने के बाद वार्षिक उत्पादन का केवल 50% हिस्सा ही खुले बाजार में बेच सकते हैं। इस पाबंदी के कारण खदानों पर भारी मात्रा में कोयले का स्टॉक जमा हो जाता है। उद्योग जगत और राज्य सरकारों के अनुसार, यह अनप्रयुक्त स्टॉक न केवल जगह घेरता है, बल्कि पर्यावरण और सुरक्षा के लिहाज से भी जोखिम पैदा करता है। नए प्रस्ताव से इस ‘डेड स्टॉक’ को बाजार में उतारा जा सकेगा।
राज्यों की बढ़ेगी कमाई, आयात पर घटेगी निर्भरता
मंत्रालय का मानना है कि इस संशोधन से कई सकारात्मक बदलाव आएंगे:
-
राजस्व में वृद्धि: कोयले की अधिक बिक्री से ‘जिला खनिज फाउंडेशन’ और ‘राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट’ को मिलने वाली रॉयल्टी बढ़ेगी, जिससे खनिज संपन्न राज्यों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी।
-
कीमतों में स्थिरता: बाजार में आपूर्ति बढ़ने से कोयले की किल्लत दूर होगी और कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिलेगी।
-
आत्मनिर्भर भारत: घरेलू कोयले की उपलब्धता बढ़ने से विदेशों से होने वाले आयात पर निर्भरता कम होगी।
कोयला गैसीकरण को मिलेगा ‘खनन’ का दर्जा
प्रस्तावित MMDR संशोधन अधिनियम, 2025 के तहत कोयला गैसीकरण (Coal Gasification) को भी खनन कार्य का हिस्सा माना जाएगा। इससे कोयले को गैस में बदलने वाली परियोजनाओं को बेहतर नियामकीय स्पष्टता मिलेगी और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में निवेश बढ़ेगा।
पट्टों के लिए अधिकतम क्षेत्र की समीक्षा
मंत्रालय ने अधिनियम की धारा 6 के तहत खनन पट्टों (Mining Leases) की अधिकतम क्षेत्र सीमा की समीक्षा का भी प्रस्ताव दिया है। वर्तमान में यह सीमा 10 वर्ग किलोमीटर तय है। सरकार का उद्देश्य बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स की कमी से जूझ रही सरकारी कंपनियों को अधिक लचीलापन प्रदान करना है।
मुख्य बिंदु:
-
कैप्टिव खदानों को अब 100% सरप्लस कोयला बेचने की मिल सकती है आजादी।
-
पर्यावरण और सुरक्षा जोखिमों को कम करने के लिए जमा स्टॉक को खत्म करने पर जोर।
-
गैर-कोयला खनिजों की तर्ज पर कोयला क्षेत्र में भी लागू होंगे समान नियम।





















