अजमेर की दरगाह पर पीएम की चादर चढ़ाने पर रोक लगाने की मांग

राजस्थान। अजमेर जिले स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की है। इस याचिका में मांग की गई है कि अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर प्रधानमंत्री की ओर से हर साल चढ़ाई जाने वाली चादर की परंपरा पर तत्काल रोक लगाई जाए। याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह मामला केवल परंपरा का नहीं, बल्कि धार्मिक स्थलों की ऐतिहासिक पहचान और संवैधानिक मूल्यों से जुड़ा हुआ है। उनका कहना है कि जिस स्थान पर दरगाह स्थित है, वहां पहले संकट मोचन महादेव मंदिर था। ऐसे में सरकारी या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा चादर चढ़ाना उचित नहीं है। इसी आधार पर उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। इस मुद्दे को लेकर अजमेर सिविल अदालत में पहले से ही मामला विचाराधीन है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर उर्स के दौरान प्रधानमंत्री की ओर से चादर चढ़ाने की परंपरा को चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर गुरुवार को अजमेर की अदालत में सुनवाई हुई थी, जहां दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क रखे। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फिलहाल कोई अंतिम फैसला नहीं सुनाया और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 3 जनवरी तय की है।

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