
नई दिल्ली। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वहां मतदाता सूची को अपडेट करने का काम चल रहा है। इस मुद्दे पर विपक्ष और सरकार आमने सामने हैं, वहीं विपक्ष इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले गया है। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने यह कहा है कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं है बल्कि पहचान के प्रमाण के रूप में माना गया है। इस तरह के मुद्दे पहले भी सामने आ चुके हैं। वहीं, अब भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) आधार नियमों को कड़ा करने जा रहा है।
वयस्कों के आधार नामांकन या अपडेट के लिए नियम होंगे कड़े
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) भविष्य में वयस्कों के नामांकन और आधार को विश्वसनीय बनाए रखने के लिए अपडेट के लिए पासपोर्ट, राशन कार्ड, जन्म और मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्रों के ऑनलाइन डेटाबेस का उपयोग करने जा रहा है।
पिछले 15 वर्षों में, 140 करोड़ से अधिक आधार बनाए गए
आधार अधिनियम की धारा 9 में कहा गया है कि यह नागरिकता या निवास का प्रमाण नहीं है, लेकिन नए उपाय यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि केवल नागरिक ही विशिष्ट संख्या प्राप्त करें। पिछले 15 वर्षों में, 140 करोड़ से अधिक आधार बनाए गए हैं, जिनमें मृत लोगों के आधार भी शामिल हैं, और लगभग वयस्कों की संख्या ही अधिक है।