जांजगीर-चांपा। हमारा देश भारत धर्म परायण देश है, पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने के लिए हमारे ऋषि मुनियों व देवताओं ने ऐसी व्यवस्था दी है कि पूरे देश के लोग गंगोत्री जाकर गंगाजल लेकर आते हैं और उसे दक्षिण भारत में रामेश्वरम में चढ़ाते हैं। इसी प्रकार देश के लगभग सभी भागों में तीर्थ हैं, यह तीर्थ हमें आपस में जोड़ते हैं।
ये बातें ब्यास आचार्य पं. मनोज पांडेय ने कही। वे ग्राम बनारी में तिवारी परिवार द्वारा आयोजित शिव महापुराण के आठवें दिन 12 ज्योर्तिंग के प्राकट?्य की कथा सुना रहे थे। आचार्य श्री ने भगवान शंकर के विविध अवतारों का वर्णन किया। उन्होंने तीर्थ यात्रा की महत्ता बताते हुए कहा कि तीर्थ यात्रा करते समय हम अपनी दुर्बलताओं को दूर करते हुए विकारों को मिटाते हुए अत्यंत पवित्र भाव से भागवत भजन करते हुए वाहन यात्रा और निवास करना चाहिए। वहां जाकर के यदि हम मानसिक शारीरिक विकारों से ग्रस्त रहे तो तीर्थ में वास करने वाले स्थाई महात्माओं को कष्ट होता है। पुण्य आत्माओं को कष्ट होता है। आजकल तीर्थ यात्रा का स्वरूप विकृत होने लगा है। लोग पिकनिक मनाने पर्यटन करने की दृष्टि से तीर्थ की यात्राएं कर रहे हैं, यह अच्छी बात नहीं है। तीर्थ धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए है, तीर्थ हुआ है जो हमें तार दे, हमें सद्गति मुक्ति प्रदान करें। सभी लोग तीर्थ में जाकर के अपने पाप नष्ट होने की भावना करते हैं, अपने पापों को वहां छोडक़र हम पवित्र होकर आए, यह भाव करते हैं, लेकिन जब पुण्यात्मा जीव तीर्थ यात्रा करते हैं उनके अंग स्पर्श से तीर्थ भी पावन हो जाते हैं, पवित्र हो जाते हैं। यदि हम भागवत भाव से युक्त होकर तीर्थ की यात्रा करें तो हम तीर्थ को भी पावन बना सकते हैं। यह सावधानी हमारे भीतर होनी चाहिए कि हम तीर्थ को और पवित्र बनाएं। इसके अलावा उन्होंने अश्वत्थामा, दुर्वासा, हनुमान जी पिप्पलाद, नंदीश्वरजी की कथा सुनाई। उपस्थित श्रद्धालुओं को अश्वत्थामा की कथा सुनाते हुए ब्यास आचार्य पं. पांडेय ने कहा की बृहस्पति के भरद्वाज पुत्र हुए। भरद्वाज से द्रोणाचार्य हुए। द्रोणाचार्य ने भगवान शंकर की कठोर तपस्या की और वरदान में अश्वत्थामा को पुत्र रूप में पाया, जो चिरंजीवी भी हैं। कथा श्रवण करने श्रीमती आशा-कृष्णकांत तिवारी, श्रीमती सुनीता-रमाकांत तिवारी, श्रीमती दुर्गा-कमलकांत तिवारी, श्रीमती सुशीला तिवारी, श्रीमती उषाकिरण, जगदीश तिवारी, सीता तिवारी, सीमा शुक्ला, माधव प्रसाद पाण्डेय, गोपाल प्रसाद पाण्डेय, के के पांडेय, विजय तिवारी, राकेश तिवारी, रमाकान्त तिवारी, राम कुमार तिवारी, राजकुमार तिवारी, रविशंकर चौबे बसंत लाल तिवारी, राकेश पांडेय, सरपंच देवनारायण सिदार, हेमंत साहू सहित ग्रामवासी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।