नवागढ़। मोतियाबिंद दृष्टि को चोरों की तरह चुरा लेता है ग्लूकोमा आंखों की बीमारी है जिसमें आंखों की रोशनी एक बार चली जाती है तो उसे दोबारा लौटा नहीं सकते हैं। इस बीमारी में आंखों की नस अर्थात – आप्टिक नर्व में छती पहुंचती है जिसका मूल कारण आंखों के अंदर का बढ़ता हुआ दबाव है। विश्व भर में ग्लूकोमा सप्ताह मार्च के प्रथम सप्ताह में मनाया जाता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नवागढ़ के खंड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नरेश साहू के मार्गदर्शन एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जांजगीर चांपा डॉक्टर वंदना सिसोदिया के दिशा निर्देश पर विश्व ग्लूकोमा सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है इस अवसर पर नवागढ़ में ग्लूकोमा दिवस मनाया गया, डॉ नरेश साहु ने कहा प्रारंभिक अवस्था में ग्लूकोमा का कोई लक्षण नेत्र में दिखाई नहीं पड़ता है इसलिए 40 साल के उम्र बाद आंख का जांच अस्पताल में करना अनिवार्य है। नेत्र सहायक अधिकारी रामगोपाल आदिले ने कहा हमारे छत्तीसगढ़ के 2 करोड़ की जनसंख्या में एक अनुमान के अनुसार लगभग ढाई लाख की संख्या में मोतियाबिंद से पीडि़त है। जिसमें लगभग 39 हजार जनता पूर्ण रूप से मोतियाबिंद के कारण अंधत्व का शिकार हो चुकी है इसलिए इस भयंकर सामूहिक समस्या से निजात पाने के लिए हर छ:महिने में प्रारंभिक जांच अस्पताल जाकर अपना नेत्र परीक्षण अवश्य कराना चाहिए। इस कार्यक्रम में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नवागढ़ के सीनियर नेत्र सहायक अधिकारी श्रीमती अंबिका कांत, डां. विशाल खन्ना, योगेश तिवारी, चेतना साहु, नर्सिंग सिस्टर मंजूला आसना, लक्ष्मी नारायण पांडेय, कामिनी सिदार, कविता सिदार, नंदकुमार बनर्जी, बहोरीक पंकज, शशीप्रभा लदेर, रितु यादव एवं बड़ी संख्या में मरीज उपस्थित थे।