
कोरबा। लंबे समय से कोयला सहित विभिन्न प्रकार के खनिज की खोजबीन के लिए भूगर्भ में काम करने की जिम्मेदारी सरकार ने मुख्य रूप से मिनरल एक्सप्लोरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड को दे रखी थी। बहुत सारे काम उसके द्वारा किए गए। समय के साथ दबाव बढऩे और कामकाज को शीघ्रता से कराने के चक्कर में अब निजी कंपनियों को भी इस काम में लगाया जा रहा है। सरकार के आदेश के तहत कोयला समेत दूसरे खनिजों की खोज एमईसीएल व अन्य कंपनियां कर सकेगी।
केंद्र सरकार ने देशभर में कोयले की खोज में निजी कंपनियों को भी शामिल कर लिया है। इस पहल का उद्देश्य कोयला खदानों के संचालन में तेजी लाना और उत्पादन को बढ़ाना है। सरकार ने कोयला तथा लिग्नाइट की खोज एवं अन्वेषण के लिए अधिकृत एजेंसियों की सूची का विस्तार करते हुए 18 नई संस्थाओं को इसमें शामिल करने की जानकारी दी।
कोयला मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 4 की उप-धारा (1) के दूसरे प्रावधान के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय गुणवत्ता परिषद-राष्ट्रीय शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रत्यायन बोर्ड द्वारा विधिवत मान्यता प्राप्त निजी संस्थाओं को 26 नवंबर 2025 को मान्यता प्राप्त पूर्वेक्षण एजेंसियों के रूप में अधिसूचित किया गया है।’ सरकार ने कहा कि इससे कोयला और लिग्नाइट की खोज के लिए 18 और एजेंसियां जुड़ जाएंगी, जिससे कोयला ब्लॉक आवंटियों को कोयला और लिग्नाइट की खोज के लिए इन एजेंसियों को नियुक्त करने में अधिक विकल्प मिलेगा।
कोयला खदान के संचालन के लिए भूगर्भीय रिपोर्ट का अन्वेषण और तैयारी एक शर्त है। इन अन्वेषण एजेंसियों के जुडऩे से लगभग 6 महीने का समय बचेगा, जो पहले एजेंसी द्वारा लाइसेंस प्राप्त करने में लगता था। अधिकृत संभावित एजेंसियों के समूह का विस्तार करके, सरकार निजी क्षेत्र के संसाधनों का उपयोग करके और अन्वेषण में दक्षता, प्रतिस्पर्धात्मकता और इनोवेशन को बढ़ावा देना चाहती है। कोयला मंत्रालय के मुताबिक, इस कदम से अन्वेषण की गति में काफी तेजी आएगी और खनन को जल्दी बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे संसाधन विकास में तेजी आएगी और देश के लिए कोयला और लिग्नाइट की उपलब्धता बढ़ेगी। इससे देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।
मंत्रालय ने बयान में आगे कहा, ‘भारत सरकार एक पारदर्शी, कुशल और भविष्य के लिए तैयार खनिज अन्वेषण ढांचे को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है जो राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा और आर्थिक विकास को गति देगा।
सीएमपीडीआई को दायित्व
कोरबा जिले सहित छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में कई कोल कंपनियां कार्यशील हैं। यहां से उत्पादित कोयला के जरिए घरेलू और व्यवसायिक उपभोक्ताओं की पूर्ति हो रही है। कोयला का सर्वेक्षण होने के बाद खनन के मामले में योजना बनाने की जिम्मेदारी कोल माइंस प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट की है। सीएमपीडीआई यह तय करती है कि किस तरह से खनन करना है और इसके लिए संबधित क्षेत्र में संरचना किस तरह की होगी।


















